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आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक का आज दूसरा दिन है. सवाल यह है कि केंद्रीय बैंक इस बार भी ब्याज दरों के मामले में यथास्थिति रखेगा या इनमें कटौती करेगा. कोविड-19 की दूसरी लहर से औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट के बावजूद आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है. लिहाजा ईएमआई के मोर्चे पर राहत मिलने की गुंजाइश नहीं दिखती. दरअसल महंगाई दर को काबू में रखने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में कटौती से हिचकेगा. शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू का ऐलान होगा.
फिलहाल ब्याज दरें नहीं घटाएगा आरबीआई
अप्रैल में आरबीआई ने पॉलिसी रिव्यू का ऐलान करने के बाद रेपो रेट 4 फीसदी पर ही बरकरार रखा था. 3.5 फीसदी के स्तर पर मौजूदा रिवर्स रेट में भी कोई बदलाव नहीं हुआ था. ब्रिकवर्क रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर एम गोविंद राव के मुताबिक जीडीपी का अनुमान से अच्छे प्रदर्शन ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी को राहत दे दी है. हालांकि देश के राज्यों में लॉकडाउन और कोरोना पाबंदियों ने ग्रोथ रिकवरी के मोर्चे पर चिंता पैदा कर दी है. लेकिन कमोडिटी की बढ़ती कीमतों और इनपुट कॉस्ट बढ़ने से महंगाई का दबाव गहराता जा रहा है. लिहाजा आरबीआई सतर्क है और वह ब्याज दरें सस्ती करने के कदम नहीं उठाएगा. इससे कोरोना काल में भारी ईएमआई के बोझ से लोन कस्टमर को राहत नहीं मिलेगी. कोटक महिंद्रा बैंक की कंज्यूमर बैंकिंग की ग्रुप प्रेसिडेंट शांति एकमबरम का कहना है कि मौजूदा माहौल में मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सामने विकल्प सीमित हैं.
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आरबीआई के सामने महंगाई नियंत्रण सबसे बड़ी प्राथमिकता
रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ब्याज दरें तय करते समय खुदरा महंगाई दर को देखती है, जो अप्रैल में घट कर 4.29 फीसदी पर आ गई थी. लेकिन आरबीआई को मार्केट में लिक्विडिटी भी बनाए रखना है. फिलहाल इस मामले में आरबीआई अच्छी स्थिति में है. होम लोन के मामले में ब्याज दरें अभी सस्ती हैं. इसलिए होम लोन ग्राहकों के लिए ईएमआई कम होने की गुंजाइश नहीं दिखती. मांग में कमी के बावजूद बैंक कंज्यूमर लोन, ऑटो लोन की दरों को भी बैंक अब कम नहीं करने के मूड में नहीं दिखते.