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कोरोना के दौर में ज्यादातर कंपनियां अपनी संपत्ति बेचने को मजबूर
कोरोना के कहर के कारण सिर्फ आम लोग ही नहीं तीन चौथाई कंपनियां भी अपनी संपत्तियां बेचने को मजबूर हैं. सलाहकार फर्म EY के वार्षिक सर्वे में कहा गया है कि तीन चौथाई कंपनियों को अपनी कोर संपत्तियों से इतर दूसरी संपत्तियों को बेचने पर विचार करना पड़ा. कोविड के दौर में ज्यादातार कंपनियों के सामने लिक्विडिटी का संकट था. साथ ही निवेश के लिए भी पैसा नहीं बचा था. लिहाजा उन्हें अपनी सपंत्तियों की बिक्री के बारे में सोचने को मजबूर होना पड़ा. EY ने यह सर्वे 30 कंपनियों के बीच किया था.
73 फीसदी कंपनियों ने कहा, विनिवेश के बारे में सोच रहे हैं
सर्वे में जिन लोगों से सवाल पूछे गए थे उनमें में से 73 फीसदी ने कहा कि वे अगले दो साल में अपनी कंपनियों में विनिवेश की सोच रहे हैं क्योंकि कोविड संकट के इस दौर कारोबार के विस्तार के लिए उन्हें पूंजी चाहिए और फिलहाल इसका इंतजाम होता नहीं दिख रहा है. अगर संपत्तियों का समय पर विनिवेश हो जाए तो कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत पूरी हो सकती है.
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बेचने के लिए संपत्ति का सही चुनाव जरूरी
EY के पार्टनर नवीन तिवारी के मुताबिक ऐसी कंपनियां विनिवेश के जरिये संकट के इस दौर में टिके रह कर अपने कोर बिजनेस पर फोकस कर सकती हैं. इस वक्त कंपनियों के आला अधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपनी संपत्तियों को बेचने के लिए सही वक्त कैसे चुनें. 70 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उन्होंने अपनी संपत्तियों को काफी समय तक होल्ड किए रखा है. हालांकि EY का कहना है कि कंपनियों के संपत्ति बेचने के फैसले को एक झटके में लिए गए फैसले के बजाय कॉरपोरेट स्ट्रेटजी की तरह देखना चाहिए. कंपनी पोर्टफोलियो का ठीक तरह से समीक्षा के बाद ही यह फैसला किया जाना चाहिए कि किस संपत्ति को बेचा जा सकता है या किसे नहीं.