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सब्जियों के अलावा दालें भी जेब पर भार बढ़ा रहीं हैं.
कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) को रोकने के लिए मार्च में लॉकडाउन लगाया गया था और तब से लेकर अब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है. लॉकडाउन के दौरान कुछ खाने-पीने की चीजों के भाव बढ़े और अब तक आम लोगों की थाली महंगी होती जा रही है. हालांकि लॉकडाउन की शुरुआत में सब्जियों के भाव कम हो रहे थे लेकिन उसके बाद से यह बढ़ रहे हैं. लॉकडाउन से पहले 1 मार्च को पैकेट वाले सरसों तेल का भाव 124 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा था जो अगले ही महीने लॉकडाउन के दौरान बढ़कर 132 रुपये किलो हो गया. इसके बाद जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, 1 अक्टूबर को इसका भाव बढ़कर 142 रुपये किलो तक हो चुका है. ये भाव दिल्ली बाजार से हैं.
त्योहारी सत्र में बढ़ सकती है महंगाई
अनलॉक के दौरान खाने-पीने के भाव बढ़ रहे हैं और इससे जल्द राहत की उम्मीद नहीं है क्योंकि त्यौहारी सत्र शुरू होने वाला है. त्यौहारी सत्र में खाने-पीने के चीजों की मांग बढ़ जाती है और इससे भाव में तेजी आ जाती है. अक्टूबर की बात करें तो इस महीने नवरात्र शुरू हो रहा है जिसमें आलू की खपत बढ़ जाती है और इसी प्रकार अन्य मांग भी बढ़ जाती है. 25 अक्टूबर को दशहरा है और अगले महीने 14 नवंबर को दीवाली है. त्यौहारों पर जिस अनुपात में खपत बढ़ता है, उसी अनुपात में अगर महंगाई बढ़ती है तो थाली बहुत महंगी हो सकती है.
सब्जियों के अलावा दालें भी बढ़ा रहीं जेब पर भार
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सब्जियां ही थाली महंगी कर रही है बल्कि दाल भी महंगी हो रही है और आम लोगों की जेब पर भार पड़ रहा है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च की तुलना में टमाटर के भाव 1 अक्टूबर तक 26 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 56 रुपये प्रति किलो हो गए हैं. दालों की बात करें तो तुअर दाल (अरहर दाल) के भाव लॉकडाउन से पहले 1 मार्च को 93 रुपये किलो था जो लॉकडाउन में थोड़ा सा ही बढ़ा और 95 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा था लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान 1 अक्टूबर को यह बढ़कर 105 रुपये प्रति किलो हो गया है. इसी प्रकार चना दाल 1 मार्च को 71 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 1 अक्टूबर को 74 रुपये प्रति किलो हो गया.
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