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Bad Bank announced : सरकार ने किया बैड बैंक बनाने का ऐलान, 30,600 करोड़ रुपये की दी गारंटी

बैड बैंक एक तरह की असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एनपीए को टेकओवर करना होता है. बैड बैंक किसी भी बैड असेट को गुड असेट में बदलने का काम करता है.

बैड बैंक एक तरह की असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एनपीए को टेकओवर करना होता है. बैड बैंक किसी भी बैड असेट को गुड असेट में बदलने का काम करता है.

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FE Online
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Bad Bank announced : सरकार ने किया बैड बैंक बनाने का ऐलान, 30,600 करोड़ रुपये की दी गारंटी

सरकार ने देश में बैड बैंक बनाने का ऐलान कर दिया है. यूनियन कैबिनेट इसके लिए National Asset Reconstruction Company Ltd (NARCL) की ओर से जारी सिक्योरिटी रिसिट लिए 30,600 करोड़ रुपये की गारंटी देने के फैसले को मंजूरी दे दी. सिक्योरिटी रिसिट से किसी फाइनेंशियल एसेट पर एसेट रीकंस्ट्रक्शन के अधिकार को निर्विवाद मान्यता मिल जाती है. आम तौर पर एसेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी या बैड बैंक फंसे हुए कर्ज को 15 फीसदी कैश देकर खरीद लेते हैं. बाकी 85 फीसदी सिक्योरिटी रिसिट के तौर पर होता है.

वित्त मंत्री ने आज इसका ऐलान करते हुए कहा कि पिछले छह साल में बैंकों ने 5,01,479 रुपये रिकवर कर लिए हैं. इनमें से 3.1 लाख करोड़ रुपये मार्च 2018 से रिकवर किए गए हैं. अब बैंकों को अपने फंसे हुए कर्ज भरोसे के साथ अपने फंसे हुए कर्ज NARCL को बेच सकेंगे..  NARCL को बोलचाल की भाषा में बैड बैंक कहा जा रहा है. कंपनी को सिक्योरिटी रिसिप्ट पर सरकार की गारंटी मिलेगी. इसी के आधार पर यह बैंकों के डूबे हुए कर्ज को खरीदेगी.

जुलाई में हो गई थी NARCL  की स्थापना?

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इससे पहले पिछले महीने इंडियन बैंक एसोसिएशन ने आरबीआई को एक आवेदन देकर 6000 करोड़ रुपये के NARCLकी स्थापना की मांग की थी. समझा जाता है कि मुंबई में जुलाई में ही रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्ट्रेशन करा कर NARCLका गठन कर दिया गया है. खबरों के मुताबिक कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का फंड जुटा लिया है और एसेट रीकंस्ट्रक्शन बिजनेस के लाइसेंस के लिए आरबीआई में अप्लाई किया है.

क्या है बैड बैंक?

बैड बैंक एक तरह की एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी होती है, जिसका काम बैंकों के फंसे हुए कर्जों यानी एनपीए को टेकओवर करना होता है. बैड बैंक किसी भी बैड असेट को गुड एसेट में बदलने का काम करता है. अगर भी बैंक किसी को लोन देता है तो ये जरूरी नहीं कि हर कोई लोन की हर किस्त समय से चुका दे या लोन पूरा चुका दे. ऐसे में बैड बैंक अपनी भूमिका शुरू करता है.

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