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Financial Planning: साल 2022 में कैपिटल मार्केट में बहुत ज्यादा अनिश्चितताएं देखे को मिलीं.
How to Reduce Your Financial Tension: साल 2022 में कैपिटल मार्केट में बहुत ज्यादा अनिश्चितताएं देखे को मिलीं, जो निवेशकों के लिए चिंता की बात रही. हालांकि यह उम्मीद है कि साल 2023 बेहतर रहेगा और इस साल निवेशकों की अपने फाइनेंस को लेकर चिंताएं कम होंगी. फाइनेंस को लेकर घबराहट में अगर आप गलत फैसले लेते हैं तो इसकी कीमत बहुत महंगी पड़ सकती है. हालांकि इस बीच बहुत से निवेशक फाइनेंस को लेकर अपनी चिंता कम करने के उपाय भी तलाश रहे हैं। यहां इस बारे में PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ, अजीत मेनन ने अपनी राय बताई है.
अजीत मेनन का कहना है कि अगर आप अपनी वित्तीय चिंता को कम करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें उन सोर्स की पहचान करनी जरूरी है. जिससे हमारी टेंशन कम हो सके. सालों से निवेशकों का जो ट्रेंड रहा है, उसमें यह देखा गया है कि चिंता मुख्य रूप से निवेशक के व्यवहार से ही शुरू होती है.
2 प्रमुख लक्षण, जो फाइनेंशियल चिंता का कारण बनते हैं:
a) एक ही विकल्प पर लगातार फोकस करना
b) प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करना
बार बार बाजार के उतार चढ़ाव पर ध्यान न दें
कई निवेशक जो वित्तीय चिंता से परेशान हैं, इसके पीछे सबसे प्रमुख वजह यह है कि वे बार बार बाजार को लेकर अनुमानों को सुनने समझने में समय खराब कर रहे हैं. बाजार की टाइमिंग सेट करना या इसे लगातार स्थिर बनाए रखना एक असंभव काम है. इसके बजाय निवेशक एसेट अलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन के नियमों का पालन कर बाजार के जोखिम को कम कर सकते हैं.
कई फैक्टर कंट्रोल से बाहर
अगर आप बाजार में निवेश का मन बनाते हैं तो कुशल फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लें. फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद लेकर अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप ही निवेश का फैसला लें. दूसरी बात यह कि निवेशकों को प्रक्रियाओं पर ध्यान देना चाहिए और जिसे कंट्रोल किया जा सके, उसे ही कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए. अन्य बातों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए. उदाहरण के लिए, मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर जैसे ब्याज दरें, महंगाई, कच्चे तेल की कीमतें किसी के नियंत्रण से बाहर हैं.
हर किसी के वित्तीय लक्ष्य अलग
कोई भी वित्तीय चिंता को पूरी तरह से कम नहीं कर सकता है क्योंकि हर किसी के लक्ष्य अलग हैं. यह बात अगर समझ लें और स्वीकार कर लें तो तनाव कम हो सकता है. वित्तीय चुनौतियों को बेहतर तरीके से कम करने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग सोच समझकर होनी चाहिए, जो घरेलू बजट, सुरक्षा, इमरजेंसी सेविंग् और फिर निवेश के सही क्रम का पालन करती हो.लंबी अवधि के निवेश के जरिए भी हम रिस्क कम कर सकते हैं.
एसेट अलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन
निवेशकों को फाइनेंस से जुड़े रिस्क कम करने के लिए अलग अलग एसेट क्लास में निवेश के जरिए अपना पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड करना चाहिए. 7 प्रमुख एसेट क्लास में इक्विटी, डेट, गोल्ड, कमोडिटी, करेंसी, रियल एस्टेट और अल्टरनेटिव्स विकल्प हैं. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसी के ओवरआल पोर्टफोलियो में निगेटिव जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है. एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन के अलावा तीसरी और सबसे अहम बात है कि लॉन्ग-टर्म कंपाउंडिंग में कभी रुकावट न डालना. संभावित रूप से इसे रिटर्न रिस्क के सीक्वेंस के रूप में जाना जाता है. लंबी अवधि में रिटर्न की स्थिरता मायने रखती है. एक बार जब कंपाउंडिंग प्रक्रिया बिगड़ जाती है, तो ट्रैक पर वापस आना बहुत मुश्किल होता है. इससे वित्तीय लक्ष्यों का हासिल करना मुश्किल हो सकता है.
"इनवेस्ट इन वनसेल्फ" स्ट्रैटेजी
ये सभी जरूरी तरीके आपके फाइनेंस से जुड़ी चिंताओं को कम कर सकते हैं, लेकिन यहां कुछ नॉन-फाइनेंशियल पहलुओं पर विचार भी जरूरी है. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, किसी के हेल्थ का ख्याल रखना जरूरी है. दूसरे, निवेशक को "इन्वेस्ट इन वनसेल्फ" स्ट्रैटेजी पर चला चाहिए, यानी उसे लगातार खुद को उन्नत करने के तरीकों और साधनों की तलाश करनी चाहिए. तीसरा, बचाए गए समय की क्वालिटी को देखना चाहिए.