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LIC के IPO से इंश्योरेंस सेक्टर होगा मजबूत, दूसरी बीमा कंपनियां भी शेयर बाजार में कर सकती हैं एंट्री

फिच रेटिंग्स का मानना है कि LIC का आईपीओ आता है तो इससे पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा.

फिच रेटिंग्स का मानना है कि LIC का आईपीओ आता है तो इससे पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा.

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PTI
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फिच रेटिंग्स का मानना है कि LIC का आईपीओ आता है तो इससे पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा.

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Fitch Report on LIC IPO: रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स का मानना है कि जीवन बीमा निगम (LIC) का आईपीओ आता है तो इससे पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा. एजेंसी का कहना है कि एलआईसी का आईपीओ आने के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की जवाबदेही और पारर्दिशता में भी सुधार होगा और इसका फायदा संभवत: पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को मिलेगा. इससे इंडस्ट्री पहले से अधिक विदेशी पूंजी आकर्षित कर पाएगा, जिससे देश में भी विदेशी पूंजी का इनफ्लो बढ़ेगा.

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रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि उम्मीद है कि एक बार एलआईसी का आईपीओ आने के बाद निजी क्षेत्र की कुछ बीमा कंपनियां भी मध्यम अवधि में अपने शेयरों को शेयर बाजार में लिस्ट कराने को प्रोत्साहित होंगी. हालांकि, मौजूदा नियमों के तहत सभी बीमा कंपनियों के लिए लिस्ट होना अनिवार्य नहीं है.

बजट में IPO की हुई थी घोषणा

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2020-21 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार की विनिवेश पहल के तहत एलआईसी को सूचीबद्ध किया जाएगा. अभी एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है. फिच ने कहा कि सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एलआईसी को अधिक कड़े खुलासा नियमों को पूरा करना होगा. इससे कंपनी के भीतर ही अनुपालन और जवाबदेही की मजबूत संस्कृति बनेगी.

फिच का कहना है कि हमें लगता है कि बीमाकर्ता के इन्वेस्टमेंट अलोकेशन के निर्णयों को भी तर्कसंगत बनाया जाएगा, क्योंकि निवेश से जुड़े प्रमुख निर्णय अतिरिक्त जांच और अप्रूवल के अधीन हो सकते हैं. एलआईसी कई सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों में प्रमुख संस्थागत निवेशकों में से एक है.

कैपिटल बेस होगा मजबूत

फिच का कहना ​है कि हम मानते हैं कि प्रस्तावित आईपीओ आने पर बीमाकर्ता के कैपिटल बेस को व्यापक बनाया जा सकता है और इसकी रेगुलेटरी कैपिटल पोजिशन में सुधार हो सकता है. यह मार्च 2019 के अंत में 160 फीसदी था, जो न्यूनतम 150 फीसदी रेगुलेटरी से थोड़ा ऊपर है. फिच को उम्मीद है कि निकट अवधि में बीमाकर्ता में स्वामित्व में सिर्फ मामूली कमी आएगी, लेकिन लंबी अवधि में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक होल्डिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए हिस्सेदारी को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है.

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