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FPI की निकासी का सिलसिला जारी, जून में अबतक 31,430 करोड़ रुपये के शेयर बेचे

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान का कहना है कि आगे चलकर भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा.

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान का कहना है कि आगे चलकर भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा.

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FE Hindi Desk
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Flight of FPIs continues; equities worth Rs 31,430 crore sold in June so far

इस महीने अबतक एफपीआई भारतीय शेयरों से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं.

FPI: अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी, हाई इन्फ्लेशन और शेयरों के हाई वैल्युएशन की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली जून में भी जारी है. इस महीने अबतक एफपीआई भारतीय शेयरों से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. इस तरह मौजूदा साल यानी 2022 में एफपीआई अबतक 1.98 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने 17 जून तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 31,430 करोड़ रुपये की निकासी की है. अक्टूबर, 2021 से FPI की बिकवाली का सिलसिला जारी है.

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आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रूझान

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कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘आगे चलकर भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला रहेगा. जियो-पॉलिटिकल टेंशन, बढ़ती महंगाई, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को कड़ा किए जाने की वजह से एफपीआई उभरते बाजारों में बिकवाल बने हुए हैं.

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क्या है एक्सपर्ट्स की राय

  • जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘वैश्विक निवेशक दुनियाभर में मंदी के बढ़ते जोखिम को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने आगे भी सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है.’’
  • उन्होंने कहा कि डॉलर के मजबूत होने और अमेरिका में बांड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से एफपीआई मुख्य रूप से बिकवाली कर रहे हैं. फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं. इसके चलते एफपीआई शेयरों से बांड की ओर रुख कर रहे हैं.
  • ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, ‘‘अनिश्चितता के ऐसे समय जबकि बांड पूंजी की सुरक्षा और बेहतर प्रतिफल की पेशकश कर रहे हैं, निवेशकों की बिकवाली तय है. मार्च, 2020 के बाद अमेरिका के बाजारों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट देखने को मिली है.’’
  • उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर इन्फ्लेशन चिंता का विषय है और इसपर अंकुश के लिए रिजर्व बैंक नीतिगत दरें बढ़ा रहा है.
  • वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव का मानना है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक भी अगले दो-तिमाहियों में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करेगा.

(इनपुट-पीटीआई)

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