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FMCG Sector: 2023 में बढ़ेगा कंज्‍यूमर गुड्स इंडस्‍ट्री का मुनाफा, कमोडिटी में नरमी और रूरल डिमांड से होगा फायदा

FMCG कंपनियां 2023 को लेकर पॉजिटिव हैं और उन्हें उम्मीद है कि रूरल मार्केट एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा.

FMCG कंपनियां 2023 को लेकर पॉजिटिव हैं और उन्हें उम्मीद है कि रूरल मार्केट एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा.

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Sushil Tripathi
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FMCG Sector: 2023 में बढ़ेगा कंज्‍यूमर गुड्स इंडस्‍ट्री का मुनाफा, कमोडिटी में नरमी और रूरल डिमांड से होगा फायदा

Consumer Goods: FMCG कंपनियों को 2023 में बेहतर मुनाफे और मार्जिन की उम्‍मीद है.

FMCG Sector Outlook in 2023: कीमतों में बिना बदलाव किए प्रोडक्‍ट के पैकेट के साइज को छोटा कर क्‍वांटिटी में कमी करना (Shrinkflation) ऐसी चीज है, जो देश में पहले कभी देखने को नहीं मिली थी. लेकिन यूक्रेन में युद्ध के बाद कच्चे माल की कीमतों में जोरदार उछाल के बीच डेली कंजम्‍पशन का प्रोडक्‍ट (FMCG) बनाने वाली कंपनियों ने कुछ इसी तरह का रुख अपनाया है. इसकी वजह यह है कि FMCG कंपनियां यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि डिमांड में जो भी कमजोर रिकवरी है, वह पूरी तरह थम न जाए.

कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब FMCG कंपनियों के पास सारे विकल्प खत्‍म हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया. FMCG कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ वॉल्‍यूम के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी. खास तौर से इन कंपनियों को कमोडिटी की कीमतों में कमी के बीच रूरल इलाकों की डिमांड में सुधार की उम्मीद है.

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2023 को लेकर पॉजिटिव, बढ़ेगी डिमांड

डाबर इंडिया के CEO मोहित मल्होत्रा ​​ने न्‍यूज एजेंसी से कहा कि हम साल 2023 को लेकर पॉजिटिव हैं और हमें रूरल डिमांड में सुधार की उम्मीद है. उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी डिमांड में ग्रोथ जारी रहेगी.

इंडस्‍ट्री में 2022 में प्राइस हाइक दो अंकों यानी 10 फीसदी से अधिक रही है. डेटा एनाएनालिटिक्‍स कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि FMCG इंडस्‍ट्री में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 फीसदी की गिरावट रही.

कमोडिटी की कीमतों में कमी का होगा फायदा

Emami के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि इनफ्लेशन और रूरल डिमांड में कमी चिंता वाली बात है. लेकिन कमोडिटी की कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं. अक्टूबर से कमोडिटी में नरमी है, लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा.

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है. लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो कमोडिटी की कीमतें अभी भी ज्‍यादा हैं. हालांकि उम्मीद है कि आगे चलकर कीमतें नीचे आएंगी. बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम घटा है. गेहूं के दाम बढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है.

इन वजहों से इंडस्‍ट्री को मिलेगा सपोर्ट

FMCG कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं. उन्हें उम्मीद है कि रूरल मार्केट एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा. उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा रूरल मार्केट का है. अच्छी पैदावार, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से रूरल मार्केट की स्थिति में सुधार की उम्मीद है.

महंगे कमोडिटी ने बिगाड़ा था सेंटीमेंट

FMCG सेक्‍टर की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध के चलते कमोडिटी की कीमतों में तेजी आ गई. कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई FMCG कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने प्रोडक्‍ट्स के पैकेट और वजन को घटा दिया. इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है. इसका मतबल है कि कंज्‍यूमर्स को कम प्रोडक्‍ट के लिए भी पुरानी कीमत ही चुकानी पड़ रही है.

कोविड संक्रमण कम होने और इकोनॉमी ओपेन के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में डिमांड में सुधार होना शुरू हुआ. FMCG कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले 2 साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी.

Fmcg