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FPI: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एफपीआई ने फरवरी में भारत से निकाले करीब 35 हजार करोड़, एक्सपर्ट्स से जानिए क्यों घट रहा निवेशकों का भरोसा

फरवरी, 2022 में FPI की निकासी मार्च, 2020 के बाद सबसे ज्यादा रही है. उस समय एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 1,18,203 करोड़ रुपये निकाले थे.

फरवरी, 2022 में FPI की निकासी मार्च, 2020 के बाद सबसे ज्यादा रही है. उस समय एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 1,18,203 करोड़ रुपये निकाले थे.

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foreign portfolio investors FPI pull out Rs 35,506 cr in february

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने फरवरी में भारतीय बाजारों से 35,506 करोड़ रुपये की निकासी की है.

FPI: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने फरवरी में भारतीय बाजारों से 35,506 करोड़ रुपये की निकासी की है. यह लगातार पांचवां महीना है जब FPI भारतीय बाजार में बिकवाल रहे हैं. एफपीआई अक्टूबर, 2021 से लगातार भारतीय बाजारों से पैसे बाहर निकाले हैं. फरवरी, 2022 में FPI की निकासी मार्च, 2020 के बाद सबसे ज्यादा रही है. उस समय एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 1,18,203 करोड़ रुपये निकाले थे. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 25 फरवरी के दौरान शेयरों से 31,158 करोड़ रुपये और डेट सेगमेंट से 4,467 करोड़ रुपये निकाले हैं. हालांकि, इस दौरान उन्होंने हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट में 120 करोड़ रुपये डाले हैं.

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क्या है एक्सपर्ट्स की राय

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मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा देर-सवेर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद से एफपीआई की निकासी तेज हुई है.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से भी एफपीआई सतर्क हो गए हैं और भारत जैसे उभरते बाजारों से दूरी बना रहे हैं.

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आगे और हो सकती है निकासी

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान ने कहा कि एफपीआई का रुख, डॉलर के मुकाबले रुपये के रुख, कच्चे तेल की कीमतों, अमेरिका में बांड पर प्रतिफल से तय होता है. अमेरिका में 10 साल के बांड पर रिटर्न बढ़ने पर एफपीआई बांड बाजार में निवेश को तरजीह देते हैं. चौहान ने कहा कि फिलहाल ये सभी चीजें एफपीआई को प्रभावित कर रही हैं. ऐसे में एफपीआई आगे और निकासी कर सकते हैं.

(इनपुट-पीटीआई)

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