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FPI ने अगस्त में शेयर बाजारों में डाले 51,200 करोड़, 20 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा निवेश

तेल कीमतों में स्थिरता और जोखिम लेने की भावना में बढ़ोतरी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का रुझान भारत की ओर बढ़ा है.

तेल कीमतों में स्थिरता और जोखिम लेने की भावना में बढ़ोतरी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का रुझान भारत की ओर बढ़ा है.

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FE Hindi Desk
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विदेशी निवेशकों (FPI) ने अगस्त में भारतीय इक्विटी बाजारों में जमकर निवेश किया है.

FPI Investment in August: विदेशी निवेशकों (FPI) ने अगस्त में भारतीय इक्विटी बाजारों में जमकर निवेश किया है. इस दौरान FPI ने 51,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक यह 20 महीनों में सबसे ज्यादा है. तेल कीमतों में स्थिरता और जोखिम लेने की भावना में बढ़ोतरी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का रुझान भारत की ओर बढ़ा. इससे पहले जुलाई में एफपीआई ने लगभग 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था.
एफपीआई ने लगातार नौ महीनों तक बड़े पैमाने पर शुद्ध बिकवाली करने के बाद जुलाई में पहली बार शुद्ध खरीदारी की थी. उन्होंने अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच भारतीय इक्विटी बाजारों से 2.46 लाख करोड़ रुपये निकाले.

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क्या है एक्सपर्ट्स की राय

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  • सैंक्टम वेल्थ में उत्पाद एवं समाधान के सह-प्रमुख मनीष जेलोका ने कहा कि भारत इस महीने भी एफपीआई की शुद्ध आवक दर्ज करेगा, हालांकि अगस्त की तुलना में इसकी गति धीमी हो सकती है. अरिहंत कैपिटल मार्केट्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक अर्पित जैन ने कहा कि मुद्रास्फीति, डॉलर का रुख और ब्याज दर एफपीआई प्रवाह को निर्धारित करेंगे.
  • डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अगस्त के दौरान भारतीय इक्विटी में शुद्ध रूप से 51,204 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह दिसंबर 2020 के बाद से विदेशी निवेशकों द्वारा किया गया सबसे अधिक निवेश था. तब उन्होंने इक्विटी में शुद्ध 62,016 करोड़ रुपये का निवेश किया था.
  • ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, "ब्याज दरों में कमी आई और तेल की कीमतें स्थिर हो गईं, जिसके चलते विदेशी निवेशकों ने उभरते बाजारों में पैसा लगाना शुरू कर दिया."
  • मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में शुद्ध निवेश में बढ़ोतरी की कई वजहें हो सकती हैं. मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है और हाल के दिनों में यह अपेक्षा से कम बढ़ी है, इस तरह सेंटीमेंट में सुधार हुआ है. इसने अमेरिका में मंदी की आशंकाओं को कुछ हद तक कम किया, इस तरह निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता में सुधार हुआ.

(इनपुट-पीटीआई)

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