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रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भरोसा घट रहा है.
FPI: अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भरोसा घट रहा है. विदेशी निवेशकों ने लगातार छठे महीने बिकवाली जारी रखते हुए मार्च में भारतीय शेयर बाजारों से 41,000 करोड़ रुपये की निकासी की है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और इन्फ्लेशन की वजह से निकट भविष्य में भी FPI फ्लो में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
लगातार छठे महीने बिकवाली जारी
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, FPI ने पिछले महीने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 41,123 करोड़ रुपये की निकासी की है. इससे पहले उन्होंने फरवरी में शेयर बाजारों से 35,592 करोड़ रुपये और जनवरी में 33,303 करोड़ रुपये निकाले थे. विदेशी निवेशक पिछले छह महीनों से शेयरों से निकासी कर रहे हैं. अक्टूबर, 2021 और मार्च, 2022 के बीच उन्होंने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से 1.48 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
अपसाइडएआई के को-फाउंडर अतनु अग्रवाल ने कहा, ‘‘FPI की निकासी की मुख्य वजह ब्याज दरों के वातावरण में बदलाव और फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहनों को समाप्त करने का संकेत है.’’ उन्होंने कहा कि कई और कारण भी हैं जिनकी वजह से एफपीआई भारतीय बाजार से निकासी कर रहे हैं. इनमें भारत का महंगा होना, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, रुपये की कमजोरी और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे कारण शामिल हैं. यही वजह है वे सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर जा रहे हैं. यदि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को टालने का संकेत दिया जाता, तो संभवत: हमें इस स्तर की निकासी देखने को नहीं मिली.’’
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने इसी तरह के तर्क देते हुए कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख, जियो-पॉलिटिकल स्थिति को लेकर चिंता की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं.
(इनपुट-पीटीआई)