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FPI: विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में भारतीय शेयर में डाले 11,630 करोड़, आगे कैसा रहेगा रूख, एक्सपर्ट व्यू

विदेशी निवेशकों (FPI) ने शेयरों के उचित मूल्यांकन और रुपये में मजबूती के बीच अप्रैल में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं.

विदेशी निवेशकों (FPI) ने शेयरों के उचित मूल्यांकन और रुपये में मजबूती के बीच अप्रैल में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं.

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FE Hindi Desk
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इससे पहले एफपीआई ने मार्च में शेयरों में शुद्ध रूप से 7,936 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

विदेशी निवेशकों (FPI) ने शेयरों के उचित मूल्यांकन और रुपये में मजबूती के बीच अप्रैल में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं. इससे पहले एफपीआई ने मार्च में शेयरों में शुद्ध रूप से 7,936 करोड़ रुपये का निवेश किया था. हालांकि, इसमें से ज्यादातर निवेश अमेरिका की जीक्यूजी पार्टनर्स द्वारा अडाणी ग्रुप की कंपनियों में किया गया था. अगर अडाणी ग्रुप की कंपनियों में आए जीक्यूजी के निवेश हो हटा दिया जाए, तो बीते माह भी एफपीआई का निवेश प्रवाह नकारात्मक ही रहेगा.

एक्सपर्ट की राय

निवेश सलाहकार कंपनी राइट रिसर्च (Wright Research) की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति के कारण एफपीआई प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा. उन्होंने कहा कि फेडरल रिजर्व ने आगामी बैठक में ब्याज दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि का संकेत दिया है जिससे एफपीआई का प्रवाह प्रभावित हो सकता है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने चालू वित्त वर्ष के पहले माह में शेयरों में शुद्ध रूप से 11,630 करोड़ रुपये डाले हैं.

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अप्रैल के पहले पखवाड़े में एफपीआई की लिवाली गतिविधियां मजबूत रहीं, जो भारतीय शेयर बाजार के प्रति भरोसे को दर्शाता है. हालांकि ब्याज दर बढ़ने और अमेरिका में कमजोर आर्थिक संकेतकों से माह के तीसरे सप्ताह में एफपीआई की धारणा प्रभावित हुई. फिज्डम (Fisdom) के को-फाउंडर आनंद डालमिया ने कहा कि अप्रैल के आखिरी कुछ दिनों में एफपीआई ने फिर आक्रामक तरीके से लिवाली की है. ऐसे में दीर्घावधि में उनका निवेश प्रवाह जारी रहने की उम्मीद है. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 805 करोड़ रुपये का निवेश किया है.

इस वजह से बेहतर हो रहा विदेश निवेश

विदेशी निवेशकों ने 2023 में अब तक इक्विटी से 14,580 करोड़ रुपये निकाले हैं और इस अवधि के दौरान ऋण बाजारों में 4,268 करोड़ रुपये का निवेश किया है. आनंद डालमिया ने कहा कि एफपीआई प्रवाह पर अप्रैल के मध्य के आंकड़ों से पता चला है कि वित्तीय, ऑटोमोबाइल घटक और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र विशेष रूप से विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक थे. कुल मिलाकर, FPI ने 2022-23 में वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक दर वृद्धि पर भारतीय इक्विटी से 37,631 करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.4 लाख करोड़ रुपये निकाले. इन निकासी से पहले एफपीआई ने 2020-21 में इक्विटी में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 6,152 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

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