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विदेशी निवेशकों के इस रुख के पीछे क्या वजह है? आइए समझते हैं. Photograph: (FE File)
FPIs pull out over Rs 1 lakh crore from Indian markets in first two months of this year: 2025 के पहले दो महीनों में विदेशी निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर ली है. नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपोजिटरी (NSDL) के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों द्वारा इस साल अब तक कुल 1,01,737 करोड़ रुपये की निकासी हो गई है, जो ये बताती है कि बड़ी मात्रा में पैसा भारतीय शेयर बाजार से बाहर जा रहा है.
बिकवाली की रफ्तार में आई मामूली गिरावट
17 फरवरी से 21 फरवरी के बीच विदेशी निवेशकों ने 2,437.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. यह पिछले हफ्ते के मुकाबले कम बिकवाली को दिखाता है, जब विदेशी निवेशकों ने 13,930.48 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. बिकवाली में कमी का कारण भारती एयरटेल के शेयरों में बड़े पैमाने पर निवेश बताया जा रहा है, जिसने बाजार को कुछ राहत दी.
फरवरी 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने 23,710 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. जनवरी में विदेशी निवेशकों ने 78,027 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की थी. वहीं, दिसंबर 2024 में भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का सकारात्मक निवेश हुआ था. हालांकि, 2024 का अंत मजबूत रहा, लेकिन एफपीआई की शुद्ध खरीदारी अब काफी कम हो गई है, जो सिर्फ 427 करोड़ रुपये रह गई है.
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लगातार बिकवाली के लिए कौन है जिम्मेदार?
बाजार विशेषज्ञ लगातार बिकवाली के दबाव के कई कारण बता रहा हैं. वैश्विक अनिश्चितता, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में तेजी और जिओपॉलिटिकल टेंशन की वजह से निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं. एक प्रमुख कारण जो भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी को बाहर खींच रहा है, वह है अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का फिर से राजनीतिक प्रभाव बढ़ना. ट्रंप का राजनीतिक मंच पर लौटना अमेरिकी अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास मजबूत कर रहा है, जिससे यह एक अधिक आकर्षक निवेश स्थान बन गया है.
विदेशी निवेशकों के रुख का भारतीय बाजार पर असर
जैसे-जैसे विदेशी निवेशक सुरक्षित निवेशों की ओर बढ़ रहे हैं, उभरते हुए बाजारों, जैसे भारत, से भारी पूंजी निकासी हो रही है. खासकर भारत में 2024 में एफपीआई निवेश में 99% की भारी गिरावट आई है, जो पिछले साल के मुकाबले बहुत कम है. विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर वैश्विक आर्थिक हालात स्थिर नहीं होते, तो एफपीआई की निकासी भारतीय शेयर बाजार पर और भी दबाव डाल सकती है.