/financial-express-hindi/media/media_files/G1bfWwQOzCmix7UkeFXV.jpg)
आम चुनाव के नतीजे मंगलवार 4 जून को आने हैं. चुनावी नतीजों से आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में एफपीआई प्रवाह की दिशा तय होगी. (Image: FE)
FPIs take out Rs 25586 crore from equities in May: आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण मई में विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने 25,586 करोड़ रुपये के शेयर्स बेचे. यह मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल के 8,700 करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध निकासी के आंकड़े से कहीं अधिक है. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में 8,761 करोड़ रुपये डाले. आम चुनाव के नतीजे मंगलवार 4 जून को आने हैं. चुनावी नतीजों से आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में एफपीआई प्रवाह की दिशा तय होगी.
FPI ने मई में बेचे 25,586 करोड़ के शेयर, बॉन्ड बाजार में डाले 8,761 करोड़
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक मई में विदेशी निवेशकों ने शेयरों से शुद्ध रूप से 25,586 करोड़ रुपये निकाले हैं. उससे पहले विदेशी निवेशकों ने मार्च में शेयर्स में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का डाले थे यानी भारतीय शेयर खरीदे थे. वहीं जनवरी में एफपीआई ने शेयरों से 25,743 करोड़ रुपये की निकासी की थी. कुल मिलाकर 2024 में अबतक विदेशी निवेशकों ने शेयर्स से 23,364 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में 8,761 करोड़ रुपये डाले हैं. इससे पहले विदेशी निवेशकों ने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था. कुल मिलाकर पिछले 5 महीने के दौरान विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में 53,669 करोड़ रुपये डाले हैं.
Also read: सेविंग अकाउंट में कितना पैसा रखने की है छूट? जान लीजिए आयकर विभाग के नियम
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार विजयकुमार ने कहा कि मध्यम अवधि में अमेरिकी ब्याज दरें एफपीआई प्रवाह पर अधिक प्रभाव डालेंगी. विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली का मुख्य कारण चीन के शेयरों का बेहतर प्रदर्शन रहा है. हैंग सेंग सूचकांक मई की पहले पखवाड़े में 8 फीसदी चढ़ा है. उन्होंने कहा कि एफपीआई की बिकवाली की एक और वजह अमेरिका में बॉन्ड यील्ड का बढ़ना है. जब भी अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड 4.5 फीसदी से ऊपर जाता है, एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों में बिकवाली करते हैं और अपना निवेश बॉन्ड में लगाते हैं. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के मजबूत आंकड़े, महंगाई दर के प्रबंधन के दायरे में रहने और राजनीतिक स्थिरता की स्थिति में एफपीआई आगे लिवाली कर सकते हैं.
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के विपुल भोवर ने कहा कि अपेक्षाकृत ऊंचे मूल्यांकन और विशेष रूप से वित्तीय और आईटी कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के साथ राजनीतिक अनिश्चिता की वजह से एफपीआई भारतीय शेयरों से निकासी कर रहे हैं. इसके अलावा चीन के बाजारों के प्रति एफपीआई के आकर्षण की वजह से भी एफपीआई भारतीय शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं.
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो 6.7 फीसदी के अनुमान से कहीं अधिक है. पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही है. इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 2.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश ने सरकार को बुनियादी ढांचा खर्च को आगे बढ़ाने को लेकर वित्तीय गुंजाइश प्रदान की है.