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FPI: सितंबर 2024 में विदेशी निवेशकों का निवेश इस साल 9 महीने के रिकॉर्ड हाई 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.(Image: )
FPIs withdraw Rs 27142 crore in 3 trading sessions of October: भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई का भरोसा अंतरराष्ट्रीय कारकों के चलते उठता नजर आ रहा है. इजरायल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण अक्टूबर के पहले 3 कारोबारी सत्रों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 27,142 करोड़ रुपये निकाले. इस दौरान विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में सामान्य लिमिट के माध्यम से भी 900 करोड़ निकाले हैं. हालांकि उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के जरिए 190 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस साल अबतक विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयरों में कुल निवेश 73,468 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है.
FPI ने अक्टूबर के तीन कारोबारी सत्रों में बेचे 27142 करोड़ के शेयर
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एक से चार अक्टूबर के बीच विदेशी निवेशकों ने 27,142 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. दो अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहे थे. इस साल सितंबर के दौरान भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का निवेश इस साल 9 महीने के रिकॉर्ड हाई 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक भारतीय शेयरों में एफपीआई का निवेश है. पिछले साल दिसंबर में विदेशी निवेशकों ने 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था. इस साल अप्रैल-मई में शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे हैं.
आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि जिओ-पॉलिटिकल टेंशन और ब्याज दरों की भविष्य की दिशा जैसे कारक आगे भारतीय बाजार में एफपीआई के निवेश की दिशा तय करेंगे.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि चीन के शेयरों के बेहतर प्रदर्शन के कारण एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है. पिछले एक महीने में हैंग सेंग इंडेक्स में 26 फीसदी की तेजी आई है और इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि चीनी शेयरों का मूल्यांकन बहुत कम है और वहां अधिकारियों द्वारा लागू किए जा रहे मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.