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देश की टॉप 50 कंपनियों ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में अपने बैंक कर्ज में 59,600 करोड़ रुपये की कमी की है.
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देश की टॉप 50 कंपनियों ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में अपने बैंक कर्ज में 59,600 करोड़ रुपये की कमी की है. कंपनियां अपनी बैलेंसशीट को साफ सुथरा बनाने की स्ट्रैटेजी के तहत अपने बैंक कर्ज में कमी कर रही हैं. सरकारी सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. पिछले वित्त वर्ष की में इन कंपनियों ने अपने बैंक कर्ज में 43 हजार करोड़ रुपये की कमी की थी. सूत्रों ने कहा कि कंपनियों द्वारा कर्ज लेने में कमी करने से बैंकों की ऋण वृद्धि पर असर पड़ा है.
बैंक ऋण पर निर्भरता कम
सूत्रों ने कहा कि कंपनियां बैंक ऋण की तुलना में कम ब्याज पर उपलब्ध बाह्य वाणिज्यिक ऋण (ईसीबी) जैसे वैकल्पिक माध्यमों से धन जुटाने को तरजीह दे रही हैं. दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) जैसी कानूनी प्रक्रियाओं को देखते हुये घरेलू कंपनियां बैंक ऋण पर निर्भरता कम कर रही हैं. रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर में भारतीय कंपनियों की विदेश से कर्ज प्राप्ति दुगुने से अधिक बढ़कर 3.41 अरब डॉलर पर पहुंच गई. इसमें 2.87 अरब डॉलर स्वत: मंजूरी वाले ईसीबी से तथा 53.8 करोड़ डॉलर मंजूरी वाले ईसीबी से जुटाये गये. कंपनियों ने अक्टूबर 2018 में 1.41 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लिया था.
कंपनियों का खर्च घटाने पर फोकस
रिजर्व बैंक आफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी ताजा फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा कि कंज्यूमर क्रेडिट जहां बढ़ रहा है, होलसेल क्रेडिट ग्रोथ कम हो रहा है क्योंकि कंपनियां और फाइनेंशियल इंटरमेडियरीज अपने व्यवसाय के तरीकों में सुधार लाने के लिए खर्च कम कर रहे हैं.
अक्टूबर के लिए सेक्टोरल डिप्लॉयमेंट डाटा के अनुसार गैर-खाद्य बैंक ऋण वृद्धि महज 8.3 फीसदी पर थी, जिसमें इंडस्ट्री सेग्मेेंट की ऋण वृद्धि 3.4 फीसदी और खुदरा ऋण 17.2 फीसदी था. चालू वित्त वर्ष के लिए, केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की इसी अवधि में 6.7 फीसदी की वृद्धि के विपरीत बैंक ऋण में केवल 1.7 फीसदी की वृद्धि हुई है.