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Election Impact on Market: 2024 में फिर नरेंद्र मोदी या INDIA के हाथ लगेगी बाजी? रिजल्ट तक कैसा रहेगा बाजार, किन स्टॉक्स पर लगाएं दांव

Stock Market Outlook: ब्रोकरेज हाउस के अनुसार राजनीतिक निरंतरता का सेंटीमेंट कैपेक्स और हाउसिंग अपसाइकिल के लिए अच्छा संकेत है, जिससे हायर जीडीपी ग्रोथ देखने को मिल सकती है और साथ ही बाजार से आकर्षक रिटर्न भी.

Stock Market Outlook: ब्रोकरेज हाउस के अनुसार राजनीतिक निरंतरता का सेंटीमेंट कैपेक्स और हाउसिंग अपसाइकिल के लिए अच्छा संकेत है, जिससे हायर जीडीपी ग्रोथ देखने को मिल सकती है और साथ ही बाजार से आकर्षक रिटर्न भी.

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Sushil Tripathi
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General Election 2024

Election Impact: जेफरीज का मानना है कि राजनीतिक निरंतरता सबसे संभावित परिणाम है, हालांकि जीत का अंतर कम हो सकता है. (pixabay)

Stock Market During Elections: देश में अब चुनावों का दौर शुरू होने वाला है. पहले 5 राज्यों में चुनाव, फिर अगले साल 24 मई को देश में आम चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में एक फैक्टर राजनीतिक अस्थिरता को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. बहुत से लोग इस बात को लेकर कनफ्यूज हैं कि आम चुनावों के परिणामोंं तक बाजार की चाल कैसी रहेगी. ब्रोकरेज हाउस जेफरीज का मानना है कि नेशनल इलेक्शन में राजनीतिक निरंतरता सबसे संभावित परिणाम है. यह कैपेक्स और मौजूदा दशक में हाउसिंग अपसाइकिल के लिए अच्छा संकेत है, जिससे हायर जीडीपी ग्रोथ देखने को मिल सकती है और साथ ही बाजार से आकर्षक रिटर्न भी. हालांकि इन सबमें सत्ता-विरोधी प्रमुख रिस्क फैक्टर होंगे. वोट शेयर में मामूली उतार-चढ़ाव से नतीजों पर बड़ा असर हो सकता है, जैसा कि 2004 के आम चुनावों में हुआ था. चुनावों से पहले बाजार में उतार चढ़ाव भी देखने को मिल सकता है.

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राजनीतिक निरंतरता की संभावना

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वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अलग अलग फैक्टर के कॉम्बिनेशन के कारण भारत के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक नेताओं में से एक बने हुए हैं, जिनमें सामाजिक योजनाओं का ठोस कार्यान्वयन, जॉब ओरिएंटेड ग्रोथ फोकस, मजबूत संचार और इमोशनल फैक्टर्स की अपील शामिल हैं. इक्विटी निवेशकों के लिए उनकी कैपेक्स ड्राइवेन ग्रोथ पॉलिसीज सबसे ज्यादा मायने रखती हैं. मतदाता राज्य और आम चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं और इसलिए, राज्य चुनावों में हालिया/संभावित असफलताओं का मतलब जरूरी नहीं कि राष्ट्रीय चुनावों में झटका हो. 2019 के बाद से पार्टी के कुछ महत्वपूर्ण सहयोगी चले गए हैं, लेकिन पार्टी कुछ नए रिश्ते भी बनाने में सफल रही है जो मददगार होने चाहिए.

विपक्ष यानी I.N.D.I.A. का क्या असर

आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत दावेदार तैयार करने के लिए 26 विपक्षी दलों ने एक महागठबंधन - इंडिया (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस) बनाया है. ये विपक्षी दल 11 राज्यों में सरकार चलाते हैं, जिनकी आबादी 40 फीसदी है. एक काल्पनिक अभ्यास में, किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में इन सभी पार्टियों से केवल 1 उम्मीदवार को मानते हुए और 2019 के परिणाम के आधार पर इन पार्टियों के बीच 100 फीसदी वोट ट्रांसफर को मानते हुए, गठबंधन 543 राष्ट्रीय सीटों में से 20 और जीत सकता है, जिससे कुल सीटें 180 हो जाएंगी. हम यह भी नोट करते हैं कि 6 प्रमुख दल (वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजेडी, बीएसपी, जेडीएस और एडीएमके) कम्यूलेटिव 49 सीटों (2019 चुनाव) के साथ इस गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं और जरूरत पड़ने पर बीजेपी के गठबंधन (एनडीए) की ओर झुक सकते हैं.

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X फैक्‍टर्स

डेमोग्रॉफिक्‍स को देखते हुए, हर नेशनल इलेक्‍शन में लगभग 125 मिलियन लोग पहली बार वोटर बनते हैं. उनकी वोटिंग टेंडेंसीज का अब तक आम चुनावों में परीक्षण नहीं किया गया है. 2024 के चुनावों में 255 मिलियन रजिस्‍टर्ड वोटर (कुल का 25%) दिखाई देंगे, जो प्री-मोदी युग में वोटर नहीं थे. इसके अलावा, कुछ इमोशनल इश्‍यू भी मसलन सीमा पार तनाव, राम मंदिर मुद्दा चुनाव परिणाम पर असर डाल सकते हैं.

मार्केट आउटलुक

पिछले 4 आम चुनावों में से, पिछले 2 चुनावों के परिणाम अनुमान से भी ऊपर के लेवल पर थे, भारतीय बाजार ने इलेक्‍शन रिजल्‍ट पीरियड के दौरान MSCI AxJ से बेहतर प्रदर्शन किया. इलेक्‍शन वीक से पहले के पिछले 6 महीनों में भारत ने 2014 के चुनावों से पहले अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन 2019 में यह अनुमान के मुताबिक था. ध्यान देने वाली बात यह है कि दिसंबर-18 में (यानी 2019 के राष्ट्रीय चुनावों से 4-5 महीने पहले), बीजेपी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य में 3 प्रमुख राज्य चुनाव हार गई थी, फिर भी उसने आम चुनाव शानदार ढंग से जीता.

जेफरीज का मानना है कि राजनीतिक निरंतरता सबसे संभावित परिणाम है, हालांकि जीत का अंतर कम हो सकता है. इसलिए हम बैंकों, इंडस्ट्रियल और प्रॉपर्टी सहित कैपेक्स रिकवरी प्‍ले पर ओवरवेट हैं. हमारी टॉप पसंद Axis Bank, ICICI Bank, SBI, L&T, Ultratech और Thermax, KEI, Siemens & Kajaria सहित चुनिंदा इंडस्ट्रियल मिड-कैप हैं. हम फेवरेबल रूरल पॉलिसीज की उम्मीद में चुनावों के लिए रणनीतिक रूप से OWT स्टेपल भी तैयार कर रहे हैं. हमारा मानना ​​है कि चुनाव परिणाम चाहे जो भी हों, हाउसिंग साइकिल चलता रहेगा, लेकिन रूलिंग पार्टी के बदलने और फ्रीबी यानी मुफ्तखोरी की राजनीति उभरने की स्थिति में व्यापक कैपेक्‍स साइकिल धीमा हो सकता है. 2004 के चुनावी उलटफेर के सीनेरियो में भी, अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार दोनों 6 महीने के समय में शुरुआती नुकसान की भरपाई करते हुए पटरी पर आ गए थे.

(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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