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गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के नियम बदले, GMS इकोनॉमी के लिए अब कैसे बन सकता है गेमचेंजर?

Gold Monetisation Scheme: सरकार ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए और इसमें भागीदारी बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बदलाव किया है.

Gold Monetisation Scheme: सरकार ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए और इसमें भागीदारी बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बदलाव किया है.

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Sushil Tripathi
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Gold Monetisation Scheme

Gold Monetisation Scheme: सरकार ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए और इसमें भागीदारी बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बदलाव किया है.

Gold Monetisation Scheme Rules: सरकार ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को और बेहतर बनाने के लिए और इसमें भागीदारी बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बदलाव किया है. बदलाव के बाद गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को लेकर सरकार ने नई गाइडलाइंस भी जारी कर दी है. नए बदलाव के तहत सरकार ने सभी सरकारी बैंकों से गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को सपोर्ट करने को कहा है. साथ ही अब इस स्कीम में ज्वैलर्स को भी शामिल किया जा रहा है. उन्हें गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में एजेंट बनाया जाएगा. एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार के इस कदम से जहां गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी, वहीं यी अर्थव्यवस्था को लेकर अब गेमचेंजर साबित हो सकता है.

क्या है गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत आप घर में रखे सोने पर कुछ इनकम कर सकते हैं. इस स्कीम के तहत घर में रखा सोना बैंक में जमा कर सकते हैं. इस पर आपको गोल्ड की सलाना वैल्यू पर 2.25 फीसदी सालाना ब्याज देते हैं. इस स्कीम के तहत आप बैंक के पास ज्वैलरी, सोने का सिक्का या बार कुछ भी जमा करा सकते हैं. सरकार ने 2015 में यह योजना शुरू की थी. इसका मकसद घरों और संस्थानों (ट्रस्ट) में रखे सोने को बाहर लाना और उसका बेहतर उपयोग करना है. मध्यम अवधि में 5 से 7 साल के लिये और लंबी अवधि के लिए 12 साल के लिये सोना जमा किया जा सकता है.

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अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजये केडिया का कहना है कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का उद्देश्य घरों या ट्रस्ट में रखे सोने का बेहतर उपयोग करना है, जिसे सोने के मालिक को भी आमदनी हो और देश की अर्थव्यवस्था को भी इसका लाभ मिल सके. उन​का कहना है कि नए नियमों के तहत सभी सरकारी बैंकों को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को सपोर्ट करने को कहा गया है. वहीं ज्वैलर्स को इसमें शामिल किया जा रहा है और वे एजेंट की तरह काम करेंगे. ये दोनों ही कदम देश की अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित होंगे. इससे सरकार का उद्देश्य पूरा हो सकेगा और बेकार पड़े सोने का इस्तेमाल देश की ग्रोथ में हो सकेगा. उन्होंने कहा कि एक सर्वे के अनुसार भारत के घरों और ट्रस्ट में 24 हजार से 25 हजार टन सोना पड़ा हुआ है.

CAD कंट्रोल करने में मदद

उन्होंने कहा कि जब घर में पड़ा भारी मात्रा में सोना बाहर निकलेगा और बैंकों के पास पहुंचेगा तो भारत को सोने पर आयात कम करने में मदद मिलेगी. आयात पर निर्भरता कम होने से देश का CAD (चालू खाता घाटा) को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. बता दें कि अभी चालू खाता घाटे में सोने का भारी मात्रा में आयात भी एक बड़ी वजह है. अब लोगों के घरों और मंदिरों में पड़ा सोना अर्थव्यव्स्था को बढ़ाने में इस्तेमाल होगा.

क्या हुए हैं बदलाव

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की नई गाइडलाइंस में सभी सरकारी बैंक को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में हिस्सा लेने को कहा गया है. इस बैंकों की कम से कम एक तिहाई शाखाओं को गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम सर्विस ब्रांच बनाया जाएगा. प्राइवेट बैंकों को भी इसमें हिस्सा लेने की सलाह दी गई है.

अब गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत कम से कम 10 ग्राम का डिपॉजिट रखना होगा. पहले यह 30 ग्राम था. R-GMS के तहत सोना जमा करने की कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी. प्रक्रिया के लिए पोर्टल, ऐप लॉन्च होगा और MLRGD गोल्ड के लिए SBI कस्टोडियन होगा.

अब R-GDS सर्टिफिकेट ट्रेडेबल और ट्रांसफरेबल होंगे और ज्वेलर्स को गोल्ड मोबलाइजेशन एजेंट बनाया जाएगा. नई गाइड लाइंस के मुताबिक ज्वेलर्स शुद्धता जांच और कलेक्शन का काम करेंगे. बैंक और रिफाइनर्स को CPTC के साथ समझौता करना होगा. बैंकों को 1 फीसदी कमीशन और 1.5 फीसदी हैंडलिंग चार्ज मिलेगा.

Gold Monetisation Scheme