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गोल्ड में अभी कुछ समय तक गिरावट का माहौल बना रह सकता है.
Gold Buying: पिछले पांच दिनों से गोल्ड में लगातार गिरावट आ रही है. दिल्ली सराफा बाजार की बात करें तो बजट में सोने के आयात शुल्क में कटौती के फैसले के कारण सोने में 1 हजार रुपये से अधिक की गिरावट आई. इस गिरावट के बाद 10 ग्राम सोने का भाव 47 हजार रुपये के नीचे आ गया. इसके बाद लगातार इसके भाव में गिरावट रही और अब यह 47 हजार रुपये के लेवल के भी नीचे आ गया है. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि शॉर्ट टर्म में गोल्ड में अभी भी गिरावट का माहौल बना रह सकता है लेकिन लांग टर्म की बात करें तो इस दिवाली तक यह 52 हजार का लेवल दिखा सकता है. कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स पर 5 अप्रैल 2021 का भाव 47100 चल रहा है लेकिन 5 अगस्त का भाव 51366 चल रहा है. ऐसे में निवेशकों के सामने गोल्ड में निवेश का यह बेहतर अवसर है.
फिजिकल मार्केट में और गिरावट संभव
एंजेल ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटीज एंड रिसर्च) अनुज गुप्ता के मुताबिक गोल्ड में अभी और गिरावट आ सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि फिजिकल मार्केट में खरीदारी का ट्रेंड कम है. अधिकतर लोग इस उम्मीद में हैं कि अभी गोल्ड में और गिरावट हो सकती है. ऐसे में अगर कुछ दिन बाद गोल्ड और अधिक सस्ते में खरीदने का मौका मिल सकता है. अनुज गुप्ता के मुताबिक फरवरी में फिजिकल मार्केट में गोल्ड 45 हजार का भी लेवल दिखा सकता है. हालांकि इसके बाद गोल्ड में तेजी आ सकती है और दिवाली तक 52 हजार तक का लेवल पार कर सकता है.
दुनिया भर में गोल्ड पर दिख रहा दबाव
ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही गोल्ड की कीमतों पर दबाव दिख रहा है. वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के कारण अस्त-व्यस्त हुई इकोनॉमी अब पटरी पर आ रही है. इकोनॉमिक गतिविधियों के बढ़ने और इक्विटी मार्केट में निवेश बढ़ने के चलते गोल्ड की कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है. दुनिया भर में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम तेजी से जोर पकड़ रहा है जिससे इकोनॉमिक गतिविधियां बढ़ रही हैं. इससे भी गोल्ड पर दबाव बढ़ रहा है क्योंकि इक्विटी मार्केट में निवेश शिफ्ट हो रहा है.
बजट में गोल्ड पर घटाया गया सीमा शुल्क
अगले वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने और चांदी पर सीमा शुल्क घटाकर 7.5 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव रखा. अभी इस समय 12.5 फीसदी की दर से इन दोनों कीमती धातुओं पर सीमा शुल्क लगता है. जुलाई 2019 में शुल्क 10 फीसदी से अधिक किए जाने के बाद से इनके भाव में तेजी से बढ़ोतरी हुई.