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Gold Return: सोने में निवेश करने वालों कों को बीते 1 साल में करीब 20 फीसदी रिटर्न मिला है.
Should You Invest in Gold: बाजार की अनिश्चितता और महंगाई के खिलाफ सुरक्षा या बचाव की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए सोना निवेश का एक आकर्षक विकल्प रहा है. इसका उदाहरण इस बात से भी लगा सकते हैं कि मौजूदा अनिश्चितता वाले माहौल में सोने ने तेजी के सभी रिकॉर्ड ब्रेक किए हैं और पहली बार 61 हजार के भी पार निकल गया. अभी भी यह 60800 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस पास ट्रेड कर रहा है. सोने में 1 साल में करीब 9500 रुपये की तेजी आ चुकी है. सवाल उठता है कि लगातार महंगा होने के बाद क्या अभी भी सोने में निवेश की गुंजाइश बची हुई है. क्योंकि बाजारों में अनिश्चितता अभी भी है, महंगाई का लेवल हाई और जियोपॉलिटिकल टेंशन की रेंज बढ़ती जा रही है.
1 साल में 9500 रुपये से ज्यादा महंगा
सोने में निवेशकों को बीते 1 साल में जमकर रिटर्न मिला है. 1 साल के दौरान सोना 51500 रुपये से बढ़कर करीब 61000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया. यानी हर 10 ग्राम के निवेश पर सिर्फ 1 साल में 9500 रुपये का या 20 फीसदी रिटर्न मिला है. असल में इस दौरान सोना जहां महंगाई के खिलाफ हेजिंग के रूप में डिमांड में रहा, वहीं बाजार की अनिश्चितता में यह सेफ हैवन साबित हुआ है.
2023: सोना हो सकता है 65 हजारी
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि वर्तमान में ग्लोबली आर्थिक वातावरण अनिश्चितता से भरा है और रिजर्व करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को चुनौती दी जा रही है. ये फैक्टर यहां से भी सोने को निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं. उनका कहना है कि 2023 के अंत तक सोना 65,000 के स्तर की ओर बढ़ सकता है. केडिया के अनुसार किसी पोर्टफोलियो में सोने का एक बैलेंस वेटेज होना जरूरी है, जिसे समय समय पर बढ़ाया भी जा सकता है. अभी की बात करें तो एमसीएक्स या भारतीय बुलियन मार्केट में, सोने की कीमतें पहले से ही हाई लेवल पर हैं, लेकिन इसमें तेजी का ट्रेंड आगे भी जारी रहने वाला है. इसके पीछे कई फैक्टर हैं.
रेट हाइक का दौर खत्म होने की ओर
अजय केडिया का कहना है कि यूएस फेड इस साल की दूसरी छमाही से पहले अपनी एग्रेसिव मॉनेटरी पॉलिसी के रुख को खत्म कर सकता है. साल 2000 में जब यूएस फेड ने ब्याज दरों पर पॉज लगाया था तो सोने में 55 फीसदी की ग्रोथ आई, वहीं जब 2006 में पॉज लगा तो सोना 230 फीसदी चढ़ा. वहीं जब जब फेड ने 2008 में पॉज लगाया तो सोने में 70 फीसदी तेजी आई. वहीं इस बार भी यूएस फेड पॉज लगाने जा रहा है, ऐसे में आगे भी सोने में तेजी आने की उम्मीद है. वहीं आगे ब्याज दरों में कटौती की भी संभावना है, जिसका मतलब है कि वास्तविक ब्याज दरें कम रहेंगी, जिससे सोने के लिए एक आकर्षक वातावरण तैयार होगा. इस मौद्रिक नीति परिवर्तन के दौरान बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी, लेकिन सोना एक एंकर के रूप में काम कर सकता है.
सोने में तेजी आने के और कारण
सोने में तेजी के पीछे केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ रही खरीदारी भी है. केंद्रीय बैंक अनिश्चितता के दौर में सोने का रिजर्व बढ़ा रहे हैं, क्योंकि सोना, मुद्रा की तरह एक सुरक्षित और लिक्विड एसेट है और डाइवर्सिफिकेशन का बेनेफिट देता है. पिछले साल वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने रिकॉर्ड 1136 टन सोना खरीदा था. इस साल अब तक, केंद्रीय बैंकों ने 125 टन सोना खरीदा है, जो एक दशक से भी अधिक समय में एक साल की सबसे मजबूत शुरुआत है. यह ट्रेंड जारी रहने का अनुमान है और सेंट्रल बैंक की मांग से बाजार में सोने को सपोर्ट मिलेगा.
Gold ETF बेहतर विकल्प
एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ): जो लोग असली सोना और चांदी रखने की परेशानी से बचना चाहते हैं, उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प गोल्ड ईटीएफ है. मार्च में ग्लोबली गोल्ड ईटीएफ में 32 टन का शुद्ध फ्लो रहा. मार्च के अंत तक, सभी गोल्ड ईटीएफ का कुल एयूएम 10 फीसदी बढ़कर 220 अरब डॉलर हो गया था. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल यानी WGC के अनुसार ग्लोबल लेवल पर हाई लेवल की महंगाई के चलते निवेशक अपने धन की सुरक्षा के चलते भी सोने में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं.