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Gold Investment: एक्सपर्ट का मानना है कि सोना लंबी अवधि में हमेशा से अच्छा रिटर्न देता आया है, भले ही इसमें समय समय पर दबाव दिखे.
Gold Investment: कोरोना वायरस महामामरी की रोकथाम के लिए जबसे अलग अलग देशों में वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, सोने का आकर्षण भी घटा है. इकोनॉमिक रिकवरी के सेंटीमेंट से शेयर बाजार में आई जोरदार तेजी की वजह से भी निवेशकों ने सोने से पैसा निकालकर इक्विटी में लगाया है. इस दौरान सोना अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 10 हजार रुपये सस्ता हो गया है. क्या सोने में मौजूदा गिरावट, निवेश का नया मौका है. एक्सपर्ट का मानना है कि सोना लंबी अवधि में हमेशा से अच्छा रिटर्न देता आया है, भले ही इसमें समय समय पर दबाव भी दिखे. लेकिन इसमें स्थिर रिटर्न मिलता आया है. ऐसे में निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो बैलेंस करने के लिए सोने में पैसा लगाना चाहिए. अलोकेशन रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर 5 से 20 फीसदी तक होना चाहिए.
पोर्टफोलियों में 5 से 20% तक सोना
मिलवुड केन इंटरनेशनल के फाउंडर और CEO, निश भाट का कहना है कि निवेशकों के पोर्टफोलियों में उनके रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर 5 से 20 फीसदी तक सोना होना चाहिए. अभी सोने में रिकॉर्ड हाई से अच्छा खासा गिरावट आ चुकी है, ऐसे में निवेश का सही मौका है. कोरोना वैक्सीन, शेयर बाजार में रैली, बांड यील्ड में तेजी और डॉलर में सुधार जैसे फैक्टर गिरावट की वजह रहे हें. हालांकि आगे शेयर बाजार का हाई वैल्युएशन, इकोनॉमिक रिकवरी, कोविड 19 का नया वैरिएंट, लिक्विडिटी जैसे फैक्टर सोने की कीमतों को ड्राइव कर सकते हैं.
गोल्ड बॉन्ड बेहतर विकल्प
एक्सपर्ट का कहना है कि सोने में निवेश के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेहतर विकल्प है. गोल्ड बॉन्ड की 12वीं सीरीज 1 मार्च से निवेश के लिए खुल भी गई है, जो 5 मार्च तक खुली रहेगी. गोल्ड बॉन्ड के लिए इस बार सरकार ने इश्यू प्राइस 4,662 रुपये प्रति ग्राम यानी 46,620 रुपये प्रति 10 ग्राम तय किया है. वहीं, अगर ऑनलाइन गोल्ड बॉन्ड खरीदते हैं, तो हर ग्राम पर 50 रुपये की छूट भी मिलेगी. ऑनलाइन इन्वेस्टर्स के लिए इश्यू प्राइस 4,612 रुपये प्रति ग्राम यानी 46,120 रुपये प्रति 10 ग्राम होगा.
गोल्ड बॉन्ड खरीदने में क्यों फायदा
1. इसमें सोने की कीमतों में इजाफे के अलावा भी आपको 2.5 फीसदी की दर से अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है.
2. मेच्योरिटी पर यह टैक्स फ्री होता है.
3. एक्सपेंस रेश्यो कुछ भी नहीं है.
4. भारत सरकार द्वारा समर्थित होने से डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता है.
5. फिजिकल गोल्ड की बजाए मैनेज करना आसान और सेफ होता है.
6. इसमें एग्जिट के आसान विकल्प हैं.
7. गोल्ड बांड के अगेंस्ट लोन की सुविधा मिलती है.
8. यह HNIs के लिए भी बेहतर विकल्प है, जहां इसमें मेच्योरिटी तक होल्ड करने में कैपिटल गेंस टैक्स नहीं देना होता है. इक्विटी पर 10 फीसदी कैपिटल गेंस टैक्स लगता है.
9. इसमें प्योरिटी का कोई झंझट नहीं होता और कीमतें सबसे शुद्ध सोने के आधार पर तय होती हैं.
10.पिछले 10 साल या 15 साल की बात करें तो सोने ने लगातार अच्छा रिटर्न दिया है.