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Gold Vs Equity: लांग टर्म में चाहते हैं ज्यादा रिटर्न, समझें क्यों पोर्टफोलियो में सोना रखना है जरूरी

अपनी जमा-पूंजी को निवेश करने के लिए पोर्टफोलियो जितना अधिक डाइवर्सिफाइ रखेंगे, उतना ही अधिक आपका निवेश सुरक्षित निवेश रह सकता है.

अपनी जमा-पूंजी को निवेश करने के लिए पोर्टफोलियो जितना अधिक डाइवर्सिफाइ रखेंगे, उतना ही अधिक आपका निवेश सुरक्षित निवेश रह सकता है.

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FE Online
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gold vs equity which sector best to invest

2007 की शुरुआत से लेकर निफ्टी ने अब तक 199 फीसदी का रिटर्न दिया है जबकि गोल्ड ने 408 फीसदी.

अपनी जमा-पूंजी को बेहतर तरीके से निवेश करने के लिए पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइ रखना जरूरी है. अलग अलग एसेट क्लास में निवेया करने से आपको अपने निवेश पर सुरक्षा मिलती है. इक्विटी और बांड में निवेश के अलावा गोल्ड में निवेश करने से आपके निवेश का पोर्टफोलियो बेहतर होगा. गोल्ड में निवेश का फायदा पिछले 2 साल से लगातार मिला है. इस साल भी कोरोना महामारी के चलते गोल्ड ने पहली बार 50 हजार का आंकड़ा पार किया और 56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचा. गोल्ड का रिटर्न चार्ट देखें तो यह याफ होगा कि इसने लांग टर्म में हमेशा अच्छा रिटर्न दिया है.

फिलहाल मौजूदा समय में गोल्ड अपने रिकॉर्ड स्तर से 5000 रुपये से ज्यादा कमजोर हुआ है. वहीं, शेयर बाजार एक बार फिर हाई वेल्युएशन पर है. ऐसे में निवेशकों के सामने उलझन है कि अभी किस एसेट क्लास में निवेश करना उनके लिए बेहतर हो सकता है. जानते हैं कि बेहतर और संतुलित पोर्टफोलियो के लिए क्या करना चाहिए.

Nifty Vs Gold

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2007 की शुरुआत से लेकर निफ्टी ने अब तक 199 फीसदी का रिटर्न दिया है जबकि गोल्ड ने 408 फीसदी. 2 जनवरी 2007 को निफ्टी 4007 पर था जो 14 अक्टूबर 2020 को बढ़कर 11971 पर पहुंच गया. इसकी तुलना में गोल्ड 2 जून 2007 को 10300 पर था और 14 अक्टूबर 2020 को यह बढ़कर 52280 पर पहुंच गया. कोरोना महामारी के दौर में स्टॉक्स, बांड और रीयल एस्टेट का रिटर्न तेजी से गिरा है लेकिन पोर्टफोलियो में गोल्ड होने पर कुछ हद तक रिटर्न संतुलित रहा है. स्टॉक मार्केट के कमजोर होने की दशा में गोल्ड ने हमेशा बेहतर रिटर्न दिया है. ब्याज दरों में कटौती ने भी गोल्ड के प्रति आकर्षण बढ़ाया है.

नीचे एक चार्ट दिया गया है. इससे समझ सकते हैं कि गोल्ड और निफ्टी में निवेश का रिटर्न कैसा रहा है. इसमें 5 लाख के निवेश पर रिटर्न को दिखाया गया है. ऑरेंज कर्व में सिर्फ गोल्ड में निवेश के रिटर्न को दिखाया गया है, नीले कर्व में सिर्फ निफ्टी में निवेश को दिखाया गया है. तीसरा पीला कर्व दोनों का मिक्स्ड है मतलब इसें 40 फीसदी गोल्ड में निवेश है और 60 फीसदी निफ्टी में. इससे आप समझ सकते हैं कि डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ने निफ्टी में निवेश की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है.

gold vs equity which sector best to invest डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो ने निफ्टी में निवेश की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है.

गोल्ड में आकर्षण की बड़ी वजह

कोरोना की दूसरी लहर- कोविड-19 के बढ़ते मामले और कोरोना की दूसरी लहर की आशंकाओं ने बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को गोल्ड के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है. इसके अलावा प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका ने भी गोल्ड के प्रति आकर्षण बढ़ाया है.

अमेरिकी डॉलर की कमजोरी- अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और अमेरिका के बढ़ते व्यापार घाटे के कारण अमेरिकी डॉलर कमजोर हो रहा है. इसके अलावा अमेरिकी ब्याज दरों में कमी ने इसकी वर्ल्ड रिजर्व करेंसी के रूप में स्थिति पर भी संकट ला दिया है. अमेरिकी चुनाव दुनिया भर में सबसे विवादास्पद विषय होता है जिससे डॉलर में कमजोरी आती है. देशों के बीच भू-राजनीतिक तनावों ने व्यापार और संबंधों में असंतुलन बढ़ाया है जिसके कारण गोल्ड में निवेश बेहतर विकल्प बना है.

डिजिटल गोल्ड में निवेश सुरक्षित- फिजिकल गोल्ड की सुरक्षा को लेकर परेशानियों के कारण कई लोग गोल्ड में निवेश से कतराते है. लेकिन फिजिकल गोल्ड के विकल्प के रूप में डिजिटल गोल्ड, गोल्ड सोवरेन बांड और ऑप्शन कांट्रैक्टस जैसे विकल्पों के कारण अब गोल्ड में निवेश बढ़ा है.

निवेशकों ने बढ़ाया रूझान- दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वारेन बफेट ने कनाडा की खनन कंपनी बैरिक गोल्ड में निवेश किया है, इससे भी लोगों का गोल्ड में भरोसा बढ़ा है. इसके अलावा कई केंद्रीय बैंकों ने इस साल के शुरुआती सात महीनों में 84 लाख आउंस (2.38 लाख किलो) गोल्ड खरीदा है. वर्ल्ड बैंक काउंसिल के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ का इनफ्लो 32 फीसदी बढ़ा है.

(लेखक: अजय केडिया, डायरेक्टर, केडिया एडवाइजरी)