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गूगल ने भारतीय स्टार्टअप्स को दी राहत , अपने नियमों को लागू करने की बढ़ाई डेडलाइन

अल्फाबेट इंक की गूगल ने इंडियन ऐप डेवलपर्स को अपने नए बिलिंग सिस्टम के पालन के लिए डेडलाइन को छह महीने आगे तक खिसका दिया है.

अल्फाबेट इंक की गूगल ने इंडियन ऐप डेवलपर्स को अपने नए बिलिंग सिस्टम के पालन के लिए डेडलाइन को छह महीने आगे तक खिसका दिया है.

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Reuters
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Google’s move is to be lauded, but as long as beauty filters continue to be available on the Android Playstore as also other app stores, it likely won’t mean much.

The suit talks of Google’s search index containing “hundreds of billions of webpages and is well over 100,000,000 gigabytes in size”.

अल्फाबेट इंक की गूगल ने इंडियन ऐप डेवलपर्स को अपने नए बिलिंग सिस्टम के पालन के लिए डेडलाइन को छह महीने आगे तक खिसका दिया है. उसने यह जानकारी सोमवार को दी. गूगल के इस फैसले के बाद अब भारतीय डेवलपर्स से इन-ऐप पर्चेजेज के लिए 31 मार्च 2022 से 30 फीसदी कमीशन लेगा और अपनी ग्लोबल पॉलिसी को कड़ाई से लागू करेगा. गूगल ने यह फैसला भारतीय स्टार्टअप्स के विरोध के बाद लिया. सभी स्टार्टअप्स एक साथ मिलकर सरकार और अदालत के पास गूगल की नई नीति के अनुपालन को लेकर अगले साल 30 सितंबर की डेडलाइन निर्धारित करने पर शिकायत दर्ज करने जा रहे थे. वे सभी कमीशन फी को लेकर नाराज थे और उन्होंने गूगल प्ले स्टोर की कुछ नीतियों की आलोचना की थी. पिछले हफ्ते गूगल ने नई बिलिंग सिस्टम की अपनी नीति के अनुपालन के लिए 30 सितंबर 2021 की डेडलाइन निर्धारित की थी.

शिकायतों की सुनवाई के लिए होंगे सत्र

गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि वह अपने सहयोगियों की मदद के बिना सफल नहीं हो सकता है. इसके लिए वह एक लिसनिंग सेसंस स्थापित करेगा जिसमें अग्रणी भारतीय स्टार्टअप्स की शिकायतों की सुनवाई की जाएगी.

गूगल प्ले स्टोर को लेकर जारी है विवाद

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यह विवाद तब शुरू हुआ जब गूगल ने पिछले महीने भारत की सबसे बड़ी डिजिटल पेमेंट ऐप पेटीएम को अपनी नीतियों के उल्लंघन को लेकर उसे अपने प्ले स्टोर से हटा दिया था. इसे लेकर गूगल को आलोचनाएं झेलनी पड़ी थीं. 99 फीसदी से अधिक करीब 5 करोड़ स्मार्टफोन में गूगल की एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल ऱहे हैं. कुछ भारतीय स्टार्टअप्स का आरोप है कि गूगल ऐप्स के प्रकार और ऐप्स की सर्विसेज पर हद से ज्यादा नियंत्रण रखता है.

क्रेडिट कार्ड ऐप्स की तुलना में अधिक फीस

एक भारतीय स्टार्टअप के एक्जेक्यूटिव का कहना है कि फीस का स्थगन काफी नहीं है, बल्कि सबसे बड़े एप्लिकेशन स्टोर के गेटकीपर यानी गूगल को उचित और पारदर्शी होना चाहिए. वैश्विक स्तर के कई ऐप डेवलपर्स का कहना है कि 30 फीसदी की फीस बहुत अधिक है जबकि क्रेडिट कार्ड पेमेंट प्रोसेरर्स के लिए यह महज 2 फीसदी ही है. हालांकि गूगल का कहना है कि यह राशि वह सुरक्षा और मार्केटिंग की वजह से अधिक है जो उनका ऐप स्टोर उपलब्ध करा रहा है.

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