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सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर के बाद अब ऑटो, ऑटो कंपोनेंट और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 26,058 करोड़ रुपये की PLI ( Production linked Scheme) स्कीम का ऐलान किया है. सरकार देश में मैन्यूफैक्चरिंग को रफ्तार देकर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए अब तक कई इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम का ऐलान कर चुकी है.
पीएलआई स्कीम से ऑटो इंडस्ट्री में 42,500 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज ऑटो और ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के लिए 25,929 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम का ऐलान किया, जबकि ड्रोन इंडस्ट्री के लिए 120 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. माना जा रहा है कि वाहन और कंपोनेंट उद्योग को पीएलआई स्कीम के तहत दिए जाने वाले वित्तीय प्रोत्साहन से इस सेक्टर में 42,500 करोड़ का नया निवेश होगा. इससे 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रोडक्शन होगा और 7.5 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
स्कीम का ऐलान करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह स्कीम देश में एडवांस्ड ऑटोमेटिव टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट मैन्यूफैक्चरिंग में आने वाली लागत को कम करेगी. पीएलआई स्कीम एडवांस्ड ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट के ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए देश में आधार बना सकेगी. यह स्कीम मौजूदा वाहन कंपनियों से लेकर नए निवेशकों के लिए भी मददगार साबित होगी. यह उन कंपनियों की भी मददगार होंगी जो फिलहालऑटो और ऑटो कंपोनेंट की मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस में नहीं हैं.
पीएलआई स्कीम से गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों को लागत के मोर्चे पर राहत
पीएलआई स्कीम से गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों को लागत के मोर्चे पर राहत मिल सकती है. पिछले दिनों मारुति सुजुकी के चेयरमैन का आर सी भार्गव ने कहा था कि भारत में कार कंपनियों को भारी टैक्स का सामना करना पड़ता है, इसलिए कारें महंगी बिकती है. फोर्ड इंडिया के भारत में प्रोडक्शन बंद करने के फैसले के बाद कहा जाने लगा है कि कार कंपनियों के लिए इंडियन मार्केट प्रतिस्पर्द्धी नहीं रह गया है.
सरकार के लिए वाहन उद्योग की दिक्कतें चिंता बढ़ाने वाली है क्योंकि इनमें बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिलता है. फोर्ड इंडिया गुजरात में साणंद स्थित अपने कारखाने को बंद कर देगी. कंपनी 2022 तक चेन्नई स्थित संयंत्र में वाहन और इंजन निर्माण का काम भी बंद कर देगी. इससे कंपनी में काम करने वाले 4000 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है.
फोर्ड इंडिया यूनियन के सदस्यों ने कहा कि कंपनी के फैसले 2600 से ज्यादा स्थायी कर्मचारियों और 1000 से ज्यादा कांट्रेक्ट स्टाफ की आजीविका खतरे में आ गई है. कर्मचारियों ने तमिलनाडु सरकार से अपनी नौकरियों की सुरक्षा के लिए मदद मांगी है. कर्मचारियों और यूनियन लीडरों का कहना है कि फोर्ड इंडिया के भारत में उत्पादन बंद करने से उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है.
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