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NFRA had recently carried out a preliminary analysis on the key financial parameters of companies to understand issues related to compliance specifically by MSMEs having net worth below Rs 250 crores.
MSME Crisis : बैंकों की ओर से कोरोना एमएसएमई (MSME) सेक्टर को ढाई लाख करोड़ रुपये का कर्ज देने के दावे के बावजूद छोटी कंपनियों की हालत बेहद खराब है. इस सेक्टर पर कोरोना के असर की स्टडी करने वाली एक संसदीय कमेटी ने कहा है सरकार के स्टिमुलस पैकेज के बावजूद इस सेक्टर के 25 फीसदी लोन के डिफॉल्ट होने का खतरा पैदा हो गया है. छोटी कंपनियों का काम सिर्फ लोन देने से नहीं चलेगा. इन्हें बड़े आर्थिक पैकेज की जरूरत है.
भारी कैश संकट का सामना कर रही हैं छोटी कंपनियां
कमेटी के मुताबिक कई MSME सेक्टर के कई उद्योग संगठन ने उसे कहा है कि छोटी कंपनियां भारी कैश संकट में हैं. कोरोना ने उनकी कमाई 20 से 50 फीसदी तक घटा दी है. हालत इतनी खराब है कि एमएसएमई सेक्टर को दिया गया 25 फीसदी लोन डूब सकता है क्योंकि कई छोटी कंपनियों को बैंकों से वर्किंग कैपिटल मिलना मुश्किल हो रहा है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम यानी MSME सेक्टर पर कोरोना के असर की स्टडी कर रही संसदीय कमेटी ने छोटी कंपनियों की हालत पर चिंताई जताई.
कमेटी का कहना है कि सरकार को छोटी कंपनियों के लिए बड़े आर्थिक पैकेज लाना चाहिए, जिससे इनकी मांग, निवेश, एक्सपोर्ट और रोजगार में इजाफा हो. छोटी कंपनियों की हालत सुधरी तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में बड़ी मदद मिलेगी. कमेटी ने इस सेक्टर की कंपनियों को 3 से 4 फीसदी की दर पर सॉफ्ट लोन ( soft loans) को सिफारिश की है. साथ ही इस सेक्टर में रोजगार बढ़ाने के नई रोजगार नीति लाने के साथ नेशनल इलेक्ट्रॉनिक एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज बनाने को कहा है.
'छोटी कंपनियों के लिए NPA नियम में राहत दे आरबीआई '
राज्यसभा सांसद के केशव राव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कहा है कि आरबीआई (RBI) एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों को दिए गए लोन को NPA करार दिए जाने के नियमों में छूट दे. फिलहाल 90 दिनों के अंदर लोन न चुकाने पर इसे NPA में डाल दिया जाता है. इस अवधि को बढ़ा कर 180 दिन किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि एमएसएमई सेक्टर के तहत 6.3 करोड़ कंपनियां ऑपरेट कर कर रही हैं और ये लगभग 14 करोड़ लोगों को रोजगार देती हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा असर इन कंपनियों पर पड़ा है. इन कंपनियों के पास नकदी संकट पैदा हो गया. इस वजह से कई कंपनियां बंद हो गई हैं. इससे देश में बेरोजगारी में इजाफा हुआ है.