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Image: PTI
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ( Ministry of MSME) ने पॉटरी (मिट्टी के बर्तन) और मधुमक्खी पालन गतिविधियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसके तहत मिट्टी के बर्तन बनाने के काम के लिए सरकार चाक, क्ले ब्लेंजर और ग्रेनुलेटर जैसे उपकरणों की सहायता प्रदान करेगी. वहीं मधुमक्खी पालन गतिविधि योजना के तहत मधुमक्खी के बक्से, टूल किट आदि की सहायता प्रदान की जाएगी. इन पहलों से दोनों ही क्षेत्रों के कुल मिलाकर लगभग 8125 लोगों को फायदा होगा. मंत्रालय की इन नई पहलों का उद्देश्य, आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान करने वाली जमीनी स्तर की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करना है.
मिट्टी के बर्तन बनाने के मामले में सहायता देने के पीछे सरकार की मंशा उत्पादन बढ़ाने के लिए मिट्टी के बर्तनों के कारीगरों का तकनीकी ज्ञान बढ़ाना और कम लागत पर नए उत्पाद विकसित करने की है. सरकार स्व-सहायता समूहों को पारंपरिक बर्तन बनाने वाले कारीगरों के साथ ही गैर पारंपरिक बर्तन बनाने वाले कारीगरों के लिए व्हील पॉटरी, प्रेस पॉटरी और जिगर जॉली पाटरी बनाने के प्रशिक्षण की सुविधा भी देगी. प्रशिक्षण और आधुनिक/स्वचालित उपकरणों के माध्यम से मिट्टी के बर्तनों के कारीगरों की आय बढ़ाना भी प्रमुख उद्देश्य है. सरकार का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों के 6,075 पारंपरिक और अन्य (गैर-पारंपरिक) कारीगरों/ग्रामीण गैर-नियोजित युवाओं/ प्रवासी मजदूरों को इस योजना से फायदा होगा.
पीएमईजीपी योजना के तहत यूनिट स्थापित करने के लिए पारंपरिक कुम्हारों को प्रोत्साहित करना, निर्यात और बड़ी खरीदार कंपनियों के साथ संबंध स्थापित करके आवश्यक बाजार संपर्क विकसित करना, देश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए नए उत्पाद और नए तरह के कच्चे माल की व्यवस्था करना, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को शीशे के बर्तन बनाने में दक्षता हासिल करवाना भी सरकार के इस कदम के मकसद हैं.
19.50 करोड़ होंगे खर्च
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वर्ष 2020-21 के लिए वित्तीय सहायता के रूप में एमजीआईआरआई, वर्धा; सीजीसीआरआई, खुर्जा; वीएनआईटी, नागपुर और उपयुक्त आईआईटी/एनआईडी/एनआईएफटी/एनआईएफटी आदि के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने वाले 6,075 कारीगरों की मदद के लिए उत्पाद विकास, अग्रिम कौशल कार्यक्रम और उत्पादों के गुणवत्ता मानकीकरण पर 19.50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के तहत टेराकोटा व लाल मिट्टी के बर्तनों को बनाने, पाटरी से क्रॉकरी बनाने की क्षमता विकसित करने और टाइल सहित अन्य नए वैल्यू एडेड उत्पाद बनाने के लिए क्लस्टर्स विकसित किए जाएंगे. इनके लिए 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है.
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मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में क्या मदद
मधुमक्खी पालन गतिविधि योजना के तहत सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के अंतर्गत मधुमक्खी के बक्से, टूल किट आदि की सहायता प्रदान करेगी. इस योजना के तहत प्रधानमंत्री कल्याण रोजगार अभियान वाले जिलों में प्रवासी मजदूरों को मधुमक्खियों की बसावट वाले इलाकों के साथ ही मधुमक्खी बक्से भी दिए जाएंगे. लाभार्थियों को निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार 5 दिनों का मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण भी विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों/राज्य मधुमक्खी पालन विस्तार केंद्रों/मास्टर ट्रेनरों के माध्यम से प्रदान किया जाएगा.
सरकार का उद्देश्य मधुमक्खी पालकों/किसानों के लिए स्थायी रोजगार पैदा करना, मधुमक्खी पालकों/किसानों के लिए पूरक आय प्रदान करना, शहर और शहद से बने उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करना, कारीगरों को मधुमक्खी पालन और प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके अपनाने में मदद करना, मधुमक्खी पालन में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने को प्रोत्साहित करना और मधुमक्खी पालन में परागण के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है. मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन रोजगार के अवसरों के माध्यम से अतिरिक्त आय के स्रोत बनाने के अलावा, अंतिम उद्देश्य भारत को इन उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाना है और अंततः निर्यात बाजारों में अच्छी पैठ बनाना है.
2050 लोगों को फायदा
मंत्रालय ने बयान में कहा कि मक्खीपालन के क्षेत्र में 2020-21 के दौरान योजना में प्रस्तावित तौर पर जुड़ने वाले 2050 मधुमक्खी पालक, उद्यमी, किसान, बेरोजगार युवा, आदिवासी इन परियोजनाओं/कार्यक्रमों से लाभान्वित होंगे. इसके लिए 2050 कारीगरों (स्वयं सहायता समूहों के 1,250 लोग और 800 प्रवासी कामगारों) को समर्थन देने के लिए 2020-21 के दौरान 13 करोड़ रुपये के वित्तीय समर्थन का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही सीएसआईआर/आईआईटी या अन्य शीर्ष स्तर के संस्थानों के साथ मिलकर सेंटर फॉर एक्सीलेंस शहद आधारित नए वैल्यू एडेड उत्पादों का विकास करेगा. वहीं ‘मंत्रालय की एसएफयूआरटीआई योजना’ के अंतर्गत बीकीपिंग हनी क्लस्टर्स के विकास के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.