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अगर ट्रस्ट को डोनेशन दूसरों की भलाई के लिए मिला है और इससे ट्रस्ट को कॉमर्शियल मुनाफा नहीं हो रहा है और यह कोई विज्ञापन नहीं है तो इस पर जीएसटी नहीं चुकानी होगी. (Image- Pixabay)
चैरिटेबल ट्रस्ट को जो भी ग्रांट और गैर-परोपकारी डोनेशंस हासिल होते हैं, उस पर 18 फीसदी की जीएसटी चुकानी होगी. अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) की महाराष्ट्र बेंच ने यह फैसला सुनाया है. महाराष्ट्र एएआर ने यह फैसला जयशंकर ग्रामीण व आदिवासी विकास संस्था संगमनेर की याचिका पर सुनाया है. यह महाराष्ट्र पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट एक्ट, 1950 के तहत रजिस्टर्ड एक चैरिटेबल ट्रस्ट है. इस चैरिटेबल ट्रस्ट ने महाराष्ट्र एएआर से पूछा था कि क्या उसे केंद्र व राज्य सरकारों समेत विभिन्न कंपनियों से मिले डोनेशंस/ग्रांट्स के रूप में पैसों पर जीएसटी चुकानी होगी?
यह इनकम टैक्स एक्ट के तहत भी चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड है. यह ट्रस्ट 50 अनाथ और बेघर बच्चों को आवास, शिक्षा, कपड़े, खाना और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराती है. महाराष्ट्र महिला व बाल कल्याण विभाग प्रति बच्चे के आधार पर 2 हजार रुपये हर महीने ट्रस्ट को देती है. इसके अलावा ट्रस्ट को डोनेशंस भी मिलते हैं.
इस कंडीशन में नहीं लगेगी जीएसटी
एएआर ने अपने फैसले में कहा है कि अगर डोनेशन दूसरों की भलाई के लिए मिला है और इससे ट्रस्ट को कॉमर्शियल मुनाफा नहीं हो रहा है और यह कोई विज्ञापन नहीं है तो इस पर जीएसटी नहीं चुकानी होगी. इसके अलावा अन्य सभी प्रकार के डोनेशंस पर चैरिटेबल ट्रस्ट को 18 फीसदी की दर से जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) चुकानी होगी.
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जुलाई 2017 से भरना पड़ सकता है टैक्स
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन के मुताबिक महाराष्ट्र एएआर के फैसले से चैरिटेबल ट्रस्ट्स को जुलाई 2017 से जीएसटी चुकानी पड़ सकती है. मोहन के मुताबिक इस फैसले से चैरिटेबल ट्रस्टों की परेशानी बढ सकती है क्योंकि अभी तक वे इनडायरेक्ट टैक्स कानूनों के तहत टैक्स न्यूट्रल स्टेस मिला हुआ था. हालांकि उन्हें जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है. मोहन के मुताबिक महाराष्ट्र एएआर के फैसले के हिसाब से 18 फीसदी की दर से अतिरिक्त ब्याज व पेनाल्टी के साथ मिलकर 2017 से कैलकुलेट की गई जीएसटी ट्रस्ट पर वित्तीय भार डाल सकती है.