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जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी काउंसिल सेस वसूलने का पीरियड इसलिए बढ़ाया है ताकि रेवेन्यू में गिरावट के चलते राज्यों को अपने लोन को चुकता करने में दिक्कत न हो.
केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक जीएसटी कंपनसेशन सेस लगाने की मंजूरी दे दी है. पहले इसकी मियाद इसी महीने यानी 30 जून तक खत्म होनी थी लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में जीएसटी काउंसिल ने इसे चार साल बढ़ाने का फैसला किया. इस काउंसिल में राज्यों के वित्त मंत्री भी रहते हैं. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (पीरियड ऑफ लेवी एंड कलेक्शन ऑफ सेस) रूल्स, 2022 के तहत जीएसटी कंपनसेशन सेस 1 जुलाई 2022 से 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगा.
सरकार ने क्यों बढ़ाई मियाद?
जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी काउंसिल सेस वसूलने का पीरियड इसलिए बढ़ाया है ताकि रेवेन्यू में गिरावट के चलते राज्यों को अपने लोन को चुकता करने में दिक्कत न हो. राज्यों ने पिछले दो वित्त वर्षों 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जो लोन लिए थे, कमाई में गिरावट के चलते उसे चुकता करने में दिक्कत न हो, इसलिए यह फैसला लिया गया. इससे पहले पिछले साल 45वें जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा था कि जीएसटी लागू होने के चलते राज्यों को राजस्व में जो गिरावट आ रही, उसका मुआवजा जून 2022 तक ही दिया जाएगा. हालांकि कंपेसेशन सेस अगले चार वर्षों तक और जारी रहेगा.
इन वस्तुओं पर सेस वसूली रहेगी जारी
जीएसटी को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. राज्यों/यूनियन टेरीटरीज को भरोसा दिया गया था कि जीएसटी लागू होने के चलते उन्हें राजस्व में जो गिरावट आएगी, पांच साल तक केंद्र सरकार उसे चुकाएगी. इस कैलकुलेशन में माना गया कि राज्यों का रेवेन्यू 14 फीसदी के चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है लेकिन इसी अनुपात में सेस में बढ़ोतरी नहीं हुई. इसके अलावा कोरोना महामारी ने भी रेवेन्यू के अनुमान और वास्तविक रेवेन्यू व सेस कलेक्शन के बीच अंतर को बढ़ा दिया. केंद्र ने राज्यों को 31 मार्च 2022 तक जीएसटी का पूरा मुआवजा चुकता कर दिया है.
हालांकि दो वित्त वर्षों के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने जो लोन लिया था, उसे चुकता करना है, जिसके लिए वह तंबाकू, सिगरेट, हुक्का, एयरेटेड वॉटर, हाई-एंड मोटरसाइकिल, एयरक्राफ्ट, याट और मोटर व्हीकल्स पर सेस लगाना जारी रखेगी यानी इनके लिए आपको अधिक कीमत चुकानी होगी. बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास स्थानीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने की शक्ति नहीं रह गई तो राज्यों की कमाई में भारी गिरावट आई जिसके लिए केंद्र ने मुआवजे का प्रावधान रखा और कुछ वस्तुओं पर सेस का भी प्रावधान रखा.
(Input: PTI)