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The new rule restricts the use of input tax credit (ITC) for discharging GST liability to 99 per cent, effective January 1, 2021.
जीएसटी अधिकारियों ने फर्जी बिल जनरेट करने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस रैकेट ने जालसाजी के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट दावा करने के लिए लगभग 1278 करोड़ रुपये के फेक बिल जनरेट किए. इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया है. यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को दी. मंत्रालय ने बयान में कहा कि स्पेसिफिक इंटेलीजेंस के आधार पर सीजीएसटी, कमिश्नरेट, दिल्ली पूर्व की एंटी इवेजन ब्रांच ने लगभग 1278 करोड़ रुपये की फर्जी बिलिंग के जरिए बड़े पैमाने पर अमान्य इनपुट टैक्स क्रेडिट जनरेट करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया.
इस रैकेट को 7 अलग-अलग कंपनियों द्वारा चलाया जा रहा था. इसका मकसद 137 करोड़ रुपये के अमान्य क्रेडिट को पास कराना था. जीएसटी अधिकारियों ने सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले करदाताओं की पहचान के लिए दिल्ली और हरियाणा में 9 से ज्यादा जगहों पर सर्च ऑपरेशन चलाया. जालसाज करदाता सामान की वास्तविक आवाजाही न होते हुए भी फेक बिल बनाते थे. इतना ही नहीं सामान के ट्रांसपोर्टेशन को दर्शाने के लिए फर्जी ई-वे बिल भी जनरेट किए गए.
मास्टरमाइंड गिरफ्तार
बयान में कहा गया कि पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड आशीष अग्रवाल नामक व्यक्ति है. उसे 29 अक्टूबर को CGST एक्ट के सेक्शन 132 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है और ट्रांजिट ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया है. फर्जी बिलिंग नेटवर्क से फायदा पाने वाली मुख्य कंपनी M/s माया इंपैक्स है. यह अग्रवाल की 66 वर्षीय मां के नाम पर रजिस्टर है. इस कंपनी के जरिए 77 करोड़ रुपये का फर्जी आईटीसी पास आॅन किया गया.
बयान में कहा गया कि फेक बिलिंग आॅपरेशन मुख्य रूप से फर्जी आईटीसी जनरेशन और इसे मिल्क प्रॉडक्ट इंडस्ट्री को पास आॅन करने से जुड़ा था. फर्जी बिल दूध उत्पादों जैसे घी, मिल्क पाउडर की काल्पनिक बिक्री के नाम पर बनाए जाते थे. अमान्य क्रेडिट की बड़ी लाभार्थी कंपनियों में M/s Milk Food Ltd जैसे बड़े ब्रांड्स का नाम भी शामिल है.
अब तक 7 करोड़ की रिकवरी
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, अब तक 7 करोड़ रुपये से ज्यादा का अमान्य आईटीसी रिकवर कर लिया गया है और रैकेट से जुड़ी अन्य काल्पनिक बिलिंग एंटिटीज का पर्दाफाश करने के लिए आगे की जांच जारी है.