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गुजरात के डायमंड इंडस्ट्री की 50 फीसदी वर्कफोर्स स्माल-साइज डायमंड्स पर काम करती है. (Image- Pixabay)
रूस और यूक्रेन के बीच जंग का असर गुजरात की डायमंड इंडस्ट्री पर भी दिख रहा है और इसके चलते 15 लाख लोगों की आजीविका पर असर पड़ रहा है. इस लड़ाई का सबसे अधिक निगेटिव असर सौराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में दिख रहा है जहां प्रोसेसिंग और पॉलिशिंग के लिए कई यूनिट्स रूस से छोटे-छोटे हीरे मंगाती हैं. बड़े आकार के हीरों की प्रोसेसिंग मुख्य रूप से राज्य के सूरत शहर में मौजूद इकाइयों में होती है. गुजरात के डायमंड इंडस्ट्री की 50 फीसदी वर्कफोर्स स्माल-साइज डायमंड्स पर काम करती है. राज्य की डायमंड यूनिट्स ने वर्कर्स और पॉलिशर्स के वर्किंग घंटों में कटौती की है जिससे उनकी आजीविका पर असर पड़ा है.
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हीरा कारोबारियों का प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के रीजनल चेयरमैन दिनेश नवाडिया के मुताबिक गुजरात की डायमंड इंडस्ट्री करीब 15 लाख वर्कर्स को रोजगार देती है. अब युद्ध के चलते रूस से छोटे-छोटे हीरों की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है. इस वजह से गुजराती कारोबारी कच्चा माल अफ्रीकी देशों या अन्य स्थानों से खरीदने के लिए बाध्य हुए हैं. अमरेली जिले के हीरों के एक कारोबारी ललित तुम्मार के मुताबिक इससे उनका प्रॉफिट मार्जिन करीब 25 फीसदी प्रभावित हुआ है. रूस से करीब 27 फीसदी कच्चा हीरा आयात होता रहा है लेकिन अब युद्ध के चलते इतना माल नहीं आ पा रहा है.
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अमेरिकी प्रतिबंध से कारोबार प्रभावित
भारत से निर्यात होने वाले कट और पॉलिश्ड हीरे का 70 फीसदी हिस्सा अमेरिका को होता है और अमेरिका ने रूस की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. नवाडिया के मुताबिक अमेरिका की कुछ बड़ी कंपनियों में मेल भेजकर सूचित किया कि वे रूस के सहयोग से बनने वाली यानी रसियन-ओरिजिन चीजों को नहीं खरीदेंगी. इस वजह से सौराष्ट्र के भावनगर, राजकोट, अमरेली और जूनागढ़ जिले के साथ-साथ राज्य के उत्तरी हिस्सों में हीरों का कारोबार प्रभावित हुआ है.
(Input: PTI)