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Inflation Increasing: पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने खाद्य तेल, अनाज और सब्जियों की महंगाई (Inflation) को बढ़ाना शुरू कर दिया है. केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल-डीजल की महंगाई से थोक और खुदरा महंगाई दोनों पर असर पड़ता है. महंगे पेट्रोल-डीजल से ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ जाती है. माल ढुलाई और लॉजिस्टिक्स के खर्चे बढ़ जाते हैं और रोजमर्रा की चीजें महंगी होने लगती हैं. महंगे पेट्रोल-डीजल से अगर कमोडिटी के दाम बढ़ते हैं तो यह काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है.
साढ़े दस फीसदी तक बढ़ गया है कि माल ढुलाई रेट
रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल, डीजल और गैस की बढ़ी कीमत मार्केट पर हावी हैं. बाजार को महंगाई बढ़ती नजर आ रही है. इससे बॉन्ड मार्केट पर भी असर पड़ा है और यील्ड कर्व ठहर गया है. इसमें कहा गया है कि मार्च 2016 से माल ढुलाई रेट स्थिर था लेकिन महंगे डीजल की वजह से यह बढ़ता जा रहा है. CMIE के डेटा के मुताबिक freight index 10.5 फीसदी तक बढ़ चुका है. यह काफी अहम मामला है क्योंकि माल ढुलाई में बढ़ने वाला खर्च सभी चीजों के दाम पर दिखने लगता है. सड़क के रास्ते जिन सामानों की ढुलाई होती है उन सभी की कीमतें इससे प्रभावित होती हैं.
खुदरा महंगाई बढ़ने से और गहरा होगा संकट
माल ढुलाई रेट बढ़ने से अनाज, साग-सब्जियों, कच्चे माल, खाद्य तेल और दूध की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. सबसे बड़ी चिंता कमोडिटी की बढ़ती महंगाई को लेकर है क्योंकि इसका असर खुदरा महंगाई पर पड़ता है. यही वजह है कि ट्रांसपोर्टेशन रेट बढ़ने से कृषि उत्पादों खास कर सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं. प्रमुख मंडियों से अलग-अलग क्षेत्र की मंडियों में ढुलाई में अब ज्यादा पैसा लग रहा है. यही वजह है कि फल और सब्जियों की कीमतें काफी तेज हो गई हैं. इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिल कर पेट्रोल-डीजल में टैक्स घटाने का फैसला लें. हालांकि रेट कटौती इस तरह की जाए कि राज्यों के रेवेन्यू पर ज्यादा असर न पड़े. 4 मई से पेट्रोल और डीजल के दाम 36 बार बढ़ चुके हैं.