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गहरी हुई पेट्रोल-डीजल की महंगाई की मार, खाने-पीने और इलाज के खर्चे में कटौती करने लगे हैं लोग

पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने ऐसे वक्त में जोर पकड़ा है, जब कोविड संक्रमण की वजह से लोगों को ज्यादा मेडिकल खर्च करना पड़ सकता है. लोग अब खर्च चलाने के लिए अपनी बचत पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने ऐसे वक्त में जोर पकड़ा है, जब कोविड संक्रमण की वजह से लोगों को ज्यादा मेडिकल खर्च करना पड़ सकता है. लोग अब खर्च चलाने के लिए अपनी बचत पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

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गहरी हुई पेट्रोल-डीजल की महंगाई की मार, खाने-पीने और इलाज के खर्चे में कटौती करने लगे हैं लोग

पेट्रोल-़़डीजल की कीमतें बढ़ने से आम लोगों का खर्च काफी बढ़ गया है.

पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतें लोगों की खर्च करने की ताकत छीनती जा रही है. पिछले कुछ महीनों से इसके बढ़ते दाम से कंज्यूमर खर्च को लेकर चिंता पैदा हो गई है. एसबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोल-डीजल पर बढ़ रहे खर्च की वजह से लोग दूसरे खर्चों में कटौती करने लगे हैं. पेट्रोल-डीजल का खर्चा इतना बढ़ा है कि इससे हेल्थ पर भी खर्चे में कटौती होने लगी है. एसबीआई की इकोनॉमिक विंग ने कार्ड से किए जाने वाले खर्चों का विश्लेषण कर बताया है कि पेट्रोल-डीजल के दाम में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से बढ़े खर्चों को एडजस्ट करने के लिए लोग हेल्थ खर्च तक घटा रहे हैं.

पैसा न बचने से ग्रॉसरी और यूटिलिटी सर्विसेज पर खर्च घटा

एसबीआई के चीफ इकोनॉमिक ए़डवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों की वजह से ग्रॉसरी और यूटिलिटी सर्विसेज पर खर्च कम होने लगा है. इन चीजों की मांग में कमी से साबित होता है कि इन खर्चों में गिरावट आई है. रिपोर्ट में कहा गया है, " मार्च 2021 से लेकर जून 2021 तक पेट्रोल डीजल जैसा अनिवार्य खर्च 62 फीसदी से बढ़ कर 75 फीसदी हो गया है, जबकि पिछले साल (2020) में अनिवार्य खर्च 84 फीसदी था.

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खर्चा चलाने के लिए अब बचत में हाथ डाल रहे हैं लोग

पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने ऐसे वक्त में जोर पकड़ा है, जब कोविड संक्रमण की वजह से लोगों को ज्यादा मेडिकल खर्च करना पड़ सकता है. लोग अब खर्च चलाने के लिए अपनी बचत पर निर्भर रहना पड़ रहा है. आरबीआई के शुरुआती आकलन के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में परिवारों की बचत दर घट कर जीडीपी की 8.2 फीसदी तक पहुंच गई. जबकि इसकी पिछली दो तिमाहियों में यह क्रमश: 21 और 10.4 फीसदी थी. कोरोना के पहले दौर के दौरान की मार्च-जून ( 2020) की तिमाही में कोरोना के दूसरे दौर में (मार्च-जून 2021) लोग कई जिलों में लोगों का जमा पैसा ज्यादा तेजी से खर्च हुआ.

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खुदरा महंगाई दर में पेट्रोल की आग

इस बीच, खुदरा महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है. जून में खुदरा महंगाई दर बढ़ कर रिकार्ड 6.26 फीसदी पर पहुंच गई. इस दौरान ईंधन और रोशनी की महंगाई 11.86 से बढ़ कर 12.68 फीसदी हो गई. एसबीआई का कहना है कि पेट्रोल की कमत में दस फीसदी बढ़ने से खुदरा महंगाई दर में आधा फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.

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