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रियल एस्टेट सेक्टर में मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने की मांग ने जोर पकड़ी
Model Builder-Buyer Agreement : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जबसे सलाह दी है कि वो पूरे देश के लिए एक जैसा मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट तैयार करने पर विचार करे, यह मुद्दा घर खरीदने वालों के बीच चर्चा में है. रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े उद्यमी भी इस मसले पर नए सिरे से गौर कर रहे हैं. बड़े पैमाने पर यह राय सामने आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अमल करने से पूरे रियल एस्टेट सेक्टर को दीर्घकालीन लाभ होगा. घर खरीदारों का मानना है कि अभी जो बिल्डर-बायर एग्रीमेंट होते हैं, उनमें बायर्स के हितों का ज्यादा ध्यान नहीं रखा जाता. सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर अमल करने से होम बायर्स के हितों की सुरक्षा होगी. दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ होम बायर्स ही नहीं, रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े कुछ उद्यमी भी सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत कर रहे हैं.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि देश में घर खरीदारों और बिल्डर्स के बीच होने वाले करार के लिए एक मॉडल एग्रीमेंट तैयार किया जाना चाहिए. देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यह मुद्दा जनहित से जुड़ा है, लिहाजा केंद्र सरकार इस सुझाव पर अमल के बारे में विचार करके 22 नवंबर तक अपना जवाब उसके सामने पेश करे. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने यह राय भी जाहिर की है कि सरकार के पास रेरा (RERA) के तहत इस तरह का मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश पिछले सोमवार को होम बायर्स के एक समूह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है. इसी के बाद से मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट पर बहस तेज हो गई है.
मॉडल एग्रीमेंट से रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ेगी पारदर्शिता
रियल एस्टेट कंपनी अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के सीएमडी राकेश यादव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को ‘मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट’ तैयार करने की सलाह देना एक स्वागत-योग्य कदम है. उनके मुताबिक यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था. राकेश यादव का कहना है कि देशभर में एक समान मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट लागू होने से बिल्डर और घर खरीदारों के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी, जो रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती देने का काम करेगा. साथ ही बिल्डर-बायर के बीच पहले से सारी स्थिति साफ होने से बाद में होने वाले कानूनी विवादों में भी कमी आएगी. राकेश यादव के मुताबिक जिस तरह रियल एस्टेट कानून रेरा (RERA) ने प्रॉपर्टी बाजार की तस्वीर बदलने में मदद की है ठीक उसी तरह मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट इस सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ाने और सेक्टर को नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद करेगा.
पोद्दार हाउसिंग एंड डेवलपमेंट लिमिटेड के एमडी रोहित पोद्दार का कहना है कि मॉडल एग्रीमेंट बिल्डर्स और बायर्स के बीच होने वाले एग्रीमेंट के लिए काफी बढ़िया गाइडेंस मुहैया करा सकता है. उन्होंने कहा, “ सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या कहता है, यह देखने वाली बात होगी लेकिन मेरा मानना है कि भारत जैसे बड़े देश के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ बदलावों की जरूरत होगी. राज्यों के हिसाब से इसमें कुछ बदलाव होने चाहिए. रियल एस्टेट राज्य का विषय है इसलिए वहां के कानूनों और अधिकार क्षेत्र का भी ध्यान रखना होगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशक सिद्धांतों का पालन तो किया ही जाएगा. ऐसा हुआ तो रेरा के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वसनीयता लाने का यह एक और कदम होगा. यह पूरे रियल एस्टेट सेक्टर के हित में होगा’’.
मौजूदा एग्रीमेंट बिल्डर के हक में, इसे बदलने की जरूरत : NEFOWA
नोएडा एक्सटेंशन प्लैट ओनर्स एसोसिएशन (अब न्यू एरा फ्लैट ओनर्स एसोसिएशन) NEFOWA के अध्यक्ष अभिषेक कुमार कहते हैं कि मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनना बेहद जरूरी है. रियल एस्टेट सेक्टर में ऐसे एग्रीमेंट अक्सर इकतरफा होते हैं, जिनमें ग्राहक घाटे में रहता है. उनके मुताबिक रेरा की तरफ से बिल्डर-बायर का मॉडल एग्रीमेंट लागू करवाने के लिए पर्याप्त जोर नहीं डाला जा रहा है. अभिषेक का दावा है कि उनके संगठन ने रेरा के नेशनल कॉन्फ्रेंस में इस सवाल को उठाया लेकिन इस पर बात आगे नहीं बढ़ रही है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट की ओर से मॉडल एग्रीमेंट के बारे में दिया गया निर्देश स्वागतयोग्य है. उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो उनका संगठन भी इस मामले में याचिका दायर कर सकता है.
NEFOWA के ही सुमिल जलोटा का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट लागू होने पर ग्राहक बेधड़क होकर प्रॉपर्टी खरीद सकेंगे. दोनों पक्षों के अधिकार समान होंगे. उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि सरकार जल्द ही रेरा के तहत एक मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट बनाने के लिए निर्देश जारी करेगी.
मॉडल एग्रीमेंट के सुझाव पर क्या कहते हैं होम बायर्स
ग्रेटर नोएडा के पंचशील हाइनिस में रहनेवाले सुरेश द्विवेदी का कहना है कि मॉडल बिल्डर-बॉयर एग्रीमेंट की व्यवस्था से बिल्डरों की मनमानी पर प्रभावी रोक लगेगी. लेकिन ग्रेटर नोएडा के ही हवेलिया वैलेन्सिया होम्स में रहनेवाले बाला जी दुबे सुप्रीम कोर्ट की पहल से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे. उनका मानना है कि ओपन मार्केट के इस दौर में बिल्डर या बायर को किसी दायरे में बांधना सही नहीं होगा. अभी दोनों के पास मार्केट के हिसाब से मोल भाव की पूरी गुंजाइश है, जबकि मॉडल बिल्डर-बॉयर एग्रीमेंट की व्यवस्था लागू होने से दोनों के हाथ बंध जाएंगे.
नोएडा सेक्टर 78 के अंतरिक्ष गोल्फ व्यू 2 अपार्टमेंट के निवासी रंजन सामंतराय का कहना है कि मॉडल एग्रीमेंट को लागू करना कंज्यूमर प्रोटेक्शन के लिहाज से बेहद जरूरी है, क्योंकि अभी इन एग्रीमेंट्स में कई बार ऐसे प्रावधान होते हैं, जिन्हें आम उपभोक्ता ठीक से समझ भी नहीं पाते. इन हालात में कई बार होम बायर्स को न सिर्फ आर्थिक और मानसिक तकलीफ उठानी पड़ती है, बल्कि उनके जीवन और आजीविका के अधिकार का हनन भी होता है. अगर मॉडल एग्रीमेंट लागू होगा तो उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहेंगे. उनका सुझाव है कि ऐसे एग्रीमेंट में कुछ ऐसा इंतजाम भी होना चाहिए जिससे स्थानीय डेवलपमेंट अथॉरिटी को भी उसमें पार्टी यानी पक्षकार बनाया जा सके.
नोएडा के सेक्टर-28 स्थित अरुण विहार में रहने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल ललित गोयल का कहना है कि घर खरीदार और बिल्डर्स के बीच सारे ट्रांजैक्शन एक एस्क्रो अकाउंट के जरिये होना चाहिए. बिल्डर पहले घर बनाए और पूरी तरह तैयार होने पर भी ग्राहक को बेचे.इससे बिल्डर्स पर कंस्ट्रक्शन जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव रहेगा.
‘मॉडल एग्रीमेंट में जुर्माने का प्रावधान जरूरी’
नोएडा सेक्टर 28 में ही रखने वाली राखी सिन्हा का कहना है कि अगर मॉडल बिल्डर-बायर एग्रीमेंट लागू होता है तो यह रियल स्टेट कारोबार में मील का पत्थर साबित होगा. चूंकि रियल एस्टेट से जुड़े नियम, कानून और कामकाज के तरीके स्पष्ट नहीं है इसलिए मॉडल एग्रीमेंट से पारदर्शिता बढ़ेगी. इस एग्रीमेंट से काले धन से प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने, पेमेंट-डिलीवरी डिफॉल्ट, कानूनी जटलिताएं और घर खरीदने के वक्त किए गए वादे पूरे न किए जाने जैसी समस्याएं सुलझ सकेंगी. साथ ही इस एग्रीमेंट के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी होना चाहिए.