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बीते एक साल में ब्रेंट की कीमतों में करीब 8.5 फीसदी की तेजी आ चुकी है. (Representational)
हाल में पारित कृषि कानूनों पर संसद में पक्ष-विपक्ष की तरफ से तल्खी और जवाब-तलबी देखी जा रही है. इन सबके बीच देश में एक ऐसा मसला भी है, जो तेजी से लोगों की आमदनी पर ‘डकैती‘ डाल रहा है. लेकिन, इस पर संसद के अंदर या बाहर बहस मुखर नहीं दिखाई दे रही है. हम बात कर रहे हैं देश में तेजी से महंगे हो रहे पेट्रोल-डीजल की. तेल की महंगाई का आलम यह है कि आम नौकरीपेशा से लेकर आम आदमी तक की जेब पर असर हो रहा है. नौकरीपेशा लोग जो अपनी कार से दफ्तरआते-जाते हैं, एक आकलन के अनुसार उनका खर्च करीब 10 फीसदी तक बढ़ गया है. पेट्रोल ऑटो चालकों को अब अपनी आमदनी को पहले की तरह बनाए रखने के लिए देर रात काम करना पड़ रहा है. यानी, कहीं न कहीं महंगे तेल की कीमतों का असर घरेलू खर्चों और बचत पर देखा जा रहा है. दूसरी ओर, डीजल की महंगाई का असर ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर पड़ रहा है. डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टर्स का खर्च करीब 15-20 फीसदी बढ़ गया है.
101 रुपये के पार पेट्रोल!
पेट्रोल-डीजल के महंगाई की एक बागनी देखिए. 11 फरवरी को श्रीगंगानगर, राजस्थान में एक्स्ट्रा प्रीमियम पेट्रोल का 101 रुपये और डीजल 85 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया है. वहीं, सामान्य पेट्रोल भी 98.37 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है. सिर्फ इस साल की बात करें तो 1 जनवरी 2021 से 11 फरवरी तक पेट्रोल 4.14 रुपये प्रति लीटर और डीजल 4.14 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो चुका है. हालांकि, इस बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम भी बढ़े हैं. सिर्फ 1 जनवरी से अबतक ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 18 फीसदी की तेजी आ चुकी है. फिलहाल, ब्रेंट के भाव 61 डाॅलर प्रति बैरल के पार चल रहे हैं. वहीं, बीते एक साल में ब्रेंट की कीमतों में करीब 8.5 फीसदी की तेजी आ चुकी है.
नौकरीपेशा की बचत में सेंध?
कोरोना महामारी के बीच अनलाॅक के साथ-साथ कई शहरों में आंशिक रूप या सीमित मैनपावर के साथ दफ्तर खुलने लगे हैं. नौकरीपेशा लोगों की आवाजाही दफ्तर तक हो रही है. अब अपनी कार से दफ्तर जाने वाले लोगों के खर्चों पर महंगे पेट्रोल-डीजल का असर साफ दिखाई देने लगा है. एक एमएनसी में कार्यरत धीरज कुमार बताते हैं, पेट्रोल खर्चों में बढ़ोतरी की बात करें, यह तो तकरीबन 10 फीसदी बढ़ चुका है. अब इसका असर तो निश्चित तौर पर हमारी बचत पर ही पड़ रहा है. एक अनुमान लेकर चले, यदि किसी नौकरीपेशा का महीने का पेट्रोल खर्च कुछ महीने पहले 10,000 रुपये था, तो अब यह बढ़कर करीब 11,000 रुपये हो गया है.
ऑटोचालक कर रहे ज्यादा घंटे काम
देश के अधिकांश शहरों में पेट्रोल ऑटोरिक्सा चल रहे हैं. पेट्रोल की महंगाई ने इनका भी कमाने और बचाने का गणित बिगाड़ दिया है, नतीजतन, अब उन्हें पहले जितनी ही आमदनी के लिए देर रात तक काम करना पड़ रहा है. जिससे कि उनके घरेलू खर्चे आसानी से चल सके. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के एक ऑटोरिक्सा चालक अब्दुल रहीम बताते हैं, ''पहले मैं सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक ऑटोरिक्सा चलाता था. अब पेट्रोल की महंगाई से कमाई घट गई है. इसकी भरपाई के लिए अब सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक ऑटोरिक्सा चलाना पड़ रहा है.'' रहीम का कहना है, पेट्रोल पर रोजाना करीब 230 रुपये खर्च कर रहा हूं, उसके बाद 400 रुपये की आमदनी हो रही है. कमाई का कुछ खर्च ऑटो के रखरखाव पर भी खर्च होता है. बता दें, मिड मार्च 2020 से पेट्रोल 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल 15 रुपये से ज्यादा महंगा हो चुका है.
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ट्रांसपोर्टर्स की भी हालत खराब
डीजल की महंगाई का असर सीधे तौर पर माल ढुलाई के कारोबार में लगे ट्रांसपोर्टर्स पर पड़ रहा है. दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट अर्गनाइजेशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र कपूर का कहना है, डीजल की महंगाई के चलते अब मार्जिन नहीं के बराबर रह गया है. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खर्चे करीब 15 से 20 फीसदी बढ़ चुके हैं, लेकिन माल भाड़े में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कपूर का कहना है कि तेल की महंगाई के बावजूद माल भाड़ा नहीं बढ़ा सकते हैं, उसकी दो प्रमुख वजह है. पहली काॅम्पिटिशन ज्यादा है दूसरा डिमांड कम और सप्लाई अधिक है. ट्रांसपोर्टेशन के कारोबार में करीब 65 फीसदी लागत डीजल की होती है. इसलिए डीजल की महंगाई का असर भी ज्यादा है.
कपूर का कहना है कि सरकार को अब इस मामले में आगे आना होगा. अन्यथा, कई लोगों का कारोबार बंद भी हो सकता है. सरकार को अब माल भाड़े के लिए किलोमीटर के हिसाब से एक न्यूनतम रेट फिक्स कर देना चाहिए. इससे प्रतिस्पर्धा भी बराबर रहेगी. अभी माल भाड़ा बढ़ाने का गणित डिमांड और सप्लाई पर चल रहा है. 13 फरवरी को दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट अर्गनाइजेशन की एक बैठक होने जा रही है, जिसमें डीजल की महंगाई से उबरने के उपायों पर चर्चा की जाएगी.
बजट में कृषि इंफ्रा सेस बढ़ा, ड्यूटी घटी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में पेट्रोल और डीजल पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगाने की घोषणा की थी. बजट के अनुसार, इंफ्रा सेस पेट्रोल पर 2.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर लगा है. हालांकि, इसका असर उपभोक्ताओं पर न पड़े इसके लिए वित्त मंत्री ने बताया कि पेट्रोल और डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी और स्पेशल एडीशनल एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई है. बजट भाषण के मुताबिक पेट्रोल पर 2.98 रुपये की बजाय 1.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4.83 रुपये की बजाय 1.8 रुपये प्रति लीटर की बेसिक एक्साइज ड्यूटी लगेगी. इसके अलावा प्रति लीटर पेट्रोल पर 11 रुपये और प्रति लीटर डीजल पर 8 रुपये की स्पेशल एडीशनल एक्साइज ड्यूटी लगेगी. स्पेशल एडीशनल एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर एक-एक रुपये की कटौती की गई.