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पिछले एक साल में देश में गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या काफी बढ़ी है.
Mistakes to avoid for Gold Loan : पिछले कुछ वक्त से देश में गोल्ड लोन की मांग काफी बढ़ गई है. कोरोना की वजह से लोगों की आय में आई गिरावट से गोल्ड लोन कस्टमर्स में इजाफा देखने को मिल रहा है. कम पेपरवर्क, लचीली स्कीमों और गोल्ड के एवज में लोन की डिलीवरी में कम समय लगने गोल्ड लोन की मांग बढ़ रही है. खास कर छोटा लोन लेने वालों के ग्राहकों के बीच. लेकिन गोल्ड लोन से पहले कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
गोल्ड लोन का LTV से क्या संबंध है?
गोल्ड लोन के मामले में लोन टू वैल्यू यानी LTV का अहम रोल होता है. आरबीआई के नियमों के मुताबिक आपको गोल्ड की पूरी कीमत के 75 फीसदी से ज्यादा लोन नहीं मिलेगा. LTV गिरवी रखे गए गोल्ड के एवज में मिलने वाले लोन का रेश्यो होता है. इसका गोल्ड के मार्केट रेट से उल्टा संबंध होता है. यानी जब मार्केट में गोल्ड का रेट बढ़ता है तो आपको ज्यादा लोन मिल सकता है. लेकिन जब कीमत घटती है तब उसी लोन अमाउंट के लिए ज्यादा गोल्ड गिरवी रखना पड़ता है.
गोल्ड की शुद्धता पर निर्भर करता है लोन अमाउंट
लोन गोल्ड की शुद्धता पर भी निर्भर करता है. आपके 24 कैरेट, 22 कैरेट या 20 कैरेट गोल्ड या ज्वैलरी की शुद्धता आंकने के लिए बैंक या गोल्ड लेने देने वाली कंपनियां प्रोफेशनल्स Loan evaluator रखते हैं. अमूमन आपको अपने गोल्ड की कीमत का 75 फीसदी ही लोन मिलता है लेकिन गोल्ड की कीमत घटती है तो यह 80 से 85 फीसदी में तब्दील हो जाता है.
गोल्ड लोन डिफॉल्ट से जुड़े नियम क्या हैं?
Ruptok Fintech के फाउंडर और सीईओ अंकुर गुप्ता कहते हैं कि यह अच्छी स्थिति नहीं है क्योंकि लोन ज्यादा देने के एवज में बैंक या गोल्ड लोन कंपनियां ज्यादा गोल्ड गिरवी रखने की मांग करती हैं या फिर कीमत में आए अंतर को अदा करने को कहती है. अगर लोन कस्टमर्स यह रकम नहीं चुकाता है तो उसे डिफॉल्टर माना जाता है. इससे उसका क्रेडिट स्कोर घट सकता है.
यह अच्छी तरह याद रहे कि अगर 90 दिनों से ज्यादा डिफॉल्ट पीरियड के बाद लोन देने वाले बैंक या गोल्ड कंपनियां आपके गोल्ड को ऑक्शन के जरिये बेच सकती हैं. हालांकि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि ज्यादातर बैंक या गोल्ड लोन कंपनियां आमतौर पर ऐसा नहीं करती क्योंकि गोल्ड लोन अमाउंट अक्सर छोटा और कम अवधि का होता है.
(Article: Priyadarshini Maji)