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यदि आप घर में सोना पड़ा है, तो इस समय आप उसे कमाई का एक जरिया बना सकते हैं.
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Gold: सोने की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों में अच्छी-खासी तेजी देखी गई है. पिछले दिनों भाव 40,000 प्रति दस ग्राम के स्तर तक पहुंच गए थे. ऊंची की कीमतों के चलते भले ही सोने की नई खरीदारी से आप दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन यदि आपके घर में सोना पड़ा है, तो इस समय आप उसे कमाई का एक जरिया बना सकते हैं. सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (gold monetization scheme) के चलते ऐसा मुमकिन होगा.
दरअसल, सोने की कीमतों में तेजी के चलते उसकी अब वैल्यूएशन बढ़ जाएगी. ऐसे में यदि आप गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत सोना अधिकृत बैंकों में जमा कराते हैं तो आपको निश्चित ब्याज के बावजूद वैल्यू अधिक मिलेगी.
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत आपको सोना बैंक में जमा करना पड़ेगा. इस पर आपको बैंक ब्याज देंगे. स्कीम के तहत इसमें कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होगा. इसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) मंजूर करेंगे. गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम वर्ष 2015 में शुरू की गई थी.
कैसे मिलेगा ज्यादा फायदा?
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट कमोडिटी एंड करंसी, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में गोल्ड का वैलुएशन बढ़ने से गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत जो रिटर्न होगा भी ज्यादा मिलेगा.
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गुप्ता ने बताया कि इस स्कीम में शुद्ध सोने पर वैल्यू तय की जाती है और आप एक निश्चित अवधि के लिए FD की तरह ब्याज हासिल कर सकते हैं. मान लीजिए, पहले वैल्युएशन 30,000 रुपये था तो उस आधार पर फिक्स रिटर्न मिलता था, अब जब सोने की वैल्यू 38,000 से ज्यादा हो गई है तो अब मौजूदा भाव के आधार पर फिक्स रिटर्न मिलेगा.
सोने की शुद्धता के बाद तय होता है रेट
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत सोना जमा करने पर वही नियम लागू होता है जो सामान्यतः किसी जमा खाते पर होते हैं. खास बात यह है कि इस सोने के एवज में मिलने वाले ब्याज पर कोई इनकम टैक्स या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है.
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत ग्राहक को अपना सोना, ज्वैलरी और सिक्कों को सरकार की तरफ से निर्धारित सेंटरों पर जमा करना होता है. जहां पर उसकी जांच करने के बाद गलाकर ग्राहक को सोने की मात्रा के बराबर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. इसके आधार पर ग्राहक बैंक में गोल्ड सेविंग अकाउंट खोलकर ब्याज प्राप्त कर सकेगा.
इस स्कीम की एक सबसे बड़ा निगेटिव प्वाइंट यह है इसमें आपको अपने सोने की वास्तविक स्वरूप को मोह छोड़ना पड़ता है. यानी, आपने जिस रूप में सोना जमा कराया, वो उस तरह वापस नहीं मिलता है.
2.5 फीसदी तक मिलता है ब्याज
सरकार ने 2015 में यह योजना शुरू की थी. इस पर ब्याज 2.25 से 2.50 फीसदी है. इसका मकसद घरों और संस्थानों (ट्रस्ट) में रखे सोने को बाहर लाना और उसका बेहतर उपयोग करना है. मध्यम अवधि में 5 से 7 साल के लिये और लंबी अवधि के लिए 12 साल के लिये सोना जमा किया जा सकता है. इसके अलावा एक साल तीन महीने, दो साल चार महीने पांच दिन आदि के लिये भी सोना जमा किया जा सकता है.
घरों में करीब 20,000 टन सोना जमा
सरकार का गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम शुरू करने का उदेश्य सोने की जरूरत के लिए आयात पर निर्भरता कम करना था. सोने का आयात बढ़ने से देश का CAD (चालू खाता घाटा) बढ़ता है. देशभर में 20 हजार टन सोने का स्टॉक भारत में लोगों के घरों में करीब 20,000 टन सोना जमा है.
सरकार सोने की जरूरत पूरी करने के लिए उसका आयात करती है, जबकि हमारे घरों और अन्य जगहों पर सोना बेकार पड़ा है. सरकार का मकसद इस स्कीम के जरिए बेकार पड़े सोने को अर्थव्यवस्था में वापस लाना है.