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HPCL Buyback Plan: हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के शेयरधारकों के पास कमाई का अच्छा मौका है.
HPCL Buyback Plan: हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के शेयरधारकों के पास कमाई का अच्छा मौका है. एचपीसीएल ने बायबैक प्रोग्राम के तहत अपने 10 करोड़ शेयर निवेशकों से वापस खरीदने का फैसला किया है. कंपनी के बोर्ड ने प्रति शेयर 250 रुपये के रेट पर शेयर बायबैक करने के फैसले को मंजूरी दी है. अभी शेयर का भाव 187 रुपये है. इस लिहाज से शेयर धारकों को हर शेयर पर 63 रुपये या 34 फीसदी रिटर्न मिल सकता है. एचपीसीएल ने दूसरी तिमाही के नतीजे जारी करने के दौरान शेयर बायबैक की जानकारी दी.
2500 करोड़ का बॉयबैक
कंपनी ने मौजूदा भाव के हिसाब से 34 फीसदी प्रीमियम पर शेयर बायबैक करने का फैसला किया है. एचपीसीएल शेयरधारकों से 250 रुपये के मूल्य पर 10 करोड़ शेयर खरीदेगी. इसका मतलब है कि कंपनी 2500 करोड़ रुपये मूल्य का शेयर बायबैक करेगी. यह कंपनी के कुल इक्विटी शेयर का 6.56 फीसदी है. फिलहाल कंपनी के इस फैसले के उसके निवेशकों के पास कमाई का अच्छा मौका बना है.
सितंबर तिमाही में डबल हुआ मुनाफा
HPCL का मुनाफा वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में 2477 करोड़ रुपये रहा है. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में डबल है. पिछले साल सितंबर तिमाही में एचपीसीएल को 1052 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. सितंबर तिमाही में कंपनी की कुल इनकम 62,419 करोड़ रुपये रही है जो पिछले साल सितंबर तिमाही में 66,854 करोड़ रुपये थी. इस साल HPCL ने बांड के जरिये 2,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं.
क्या होता है शेयर बायबैक
कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. आप इसे आईपीओ का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.
कंपनियां क्यों करती हैं बायबैक
इसकी सबसे बड़ी वजह कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी का होना है. कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है. इससे यह माना जाता है कि कंपनी अपने नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी अपने अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करती है. कई बार कंपनी को यह लगता है कि उसके शेयर की कीमत कम है (अंडरवैल्यूड) तो वह बायबैक के जरिए उसे बढ़ाने की कोशिश करती है.
क्या है प्रक्रिया
सबसे पहले कंपनी का बोर्ड शेयर बायबैक के प्रस्ताव को मंजूरी देता है. इसके बाद कंपनी बायबैक के लिए कार्यक्रम का एलान करती है. इसमें रिकार्ड डेट और बायबैक की अवधि का जिक्र होता है. रिकॉर्ड डेट का मतलब यह है कि उस दिन तक जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होंगे, वे बायबैक में हिस्सा ले सकेंगे.
बायबैक का शेयर पर असर
बायबैक का कंपनी और उसके शेयर पर कई तरह से असर पड़ता है. शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मौजूद कंपनी के शेयरों की संख्या घट जाती है. इससे प्रति शेयर आय (ईपीएस) बढ़ जाती है. शेयर का पीई भी बढ़ जाता है. इससे कंपनी के कारोबार में कोई बदलाव नहीं आता है.
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