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रतन टाटा को इस बात का है मलाल, वेबिनार में खोले राज

टाटा दो दशक से भी अधिक समय तक देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह के प्रमुख रहे हैं.

टाटा दो दशक से भी अधिक समय तक देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह के प्रमुख रहे हैं.

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I was unable to practise as an architect for long, regrets Ratan Tata

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I was unable to practise as an architect for long, regrets Ratan Tata Image: Reuters

टाटा समूह (Tata Group) के मानद चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) ने कहा कि एक आर्किटेक्ट (वास्तुकार) के तौर पर अपने काम को लंबे समय तक जारी नहीं रख पाने का उन्हें मलाल है. हालांकि, टाटा दो दशक से भी अधिक समय तक देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह के प्रमुख रहे हैं. ‘भविष्य के डिजाइन और निर्माण’ विषय पर कॉर्पगिनी की ऑनलाइन संगोष्ठी (वेबिनार) में टाटा ने कहा, ‘‘मैं हमेशा से आर्किटेक्ट बनना चाहता था क्योंकि यह मानवता की गहरी भावना से जोड़ता है. मेरी उस क्षेत्र में बहुत रुचि थी क्योंकि वास्तुशिल्प से मुझे प्रेरणा मिलती है. लेकिन मेरे पिता मुझे एक इंजीनियर बनाना चाहते थे, इसलिए मैंने दो साल इंजीनियरिंग की.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन दो सालों में मुझे समझ आ गया कि मुझे आर्किटेक्ट ही बनना है, क्योंकि मैं बस वही करना चाहता था.’’ टाटा ने कॉरनैल विश्वविद्यालय से 1959 में वास्तुशिल्प में डिग्री ली. उसके बाद भारत लौटकर पारिवारिक कारोबार संभालने से पहले उन्होंने लॉस एंजिलिस में एक आर्किटेक्ट के कार्यालय में भी कुछ वक्त काम किया. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि बाद में मैं पूरी जिंदगी वास्तुशिल्प से दूर ही रहा. मुझे आर्किटेक्ट नहीं बन पाने का दुख कभी नहीं रहा, मलाल तो इस बात का है कि मैं ज्यादा समय तक उस काम को जारी नहीं रख सका.’’

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डेवलपर्स व आर्किटेक्ट्स से नाराजगी भी जताई

वेबिनार के दौरान टाटा ने डेवलपरों और वास्तुकारों के शहरों में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों को ‘अवशेष’ की तरह इस्तेमाल करने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के तेजी से फैलने की एक बड़ी वजह इन झुग्गी झोपड़ी कॉलोनियों को भी बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘सस्ते आवास और झुग्गियों का उन्मूलन आश्चर्यजनक रूप से दो परस्पर विरोधी मुद्दे हैं. हम लोगों को अनुपयुक्त हालातों में रहने के लिए भेजकर झुग्गियों को हटाना चाहते हैं. यह जगह भी शहर से 20-30 मील दूर होती हैं और अपने स्थान से उखाड़ दिए गए उन लोगों के पास कोई काम भी नहीं होता है.’’ उन्होंने कहा कि लोग महंगे आवास वहां बनाते हैं, जहां कभी झुग्गियां होती थीं. झुग्गी झोपड़ियां विकास के अवशेष की तरह हैं.

Input: PTI

Ratan Tata