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कोविड-19 का असर तकरीबन हर सेक्टर में देखा जा रहा है. इसकी चपेट में आटो कंपोनेंट सेक्टर भी है. रेटिंग एजेंसी इकरा के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में आटो कंपोनेंट सेक्टर के रेवेन्यू में 14-18% गिरावट आ सकती है. बता दें कि कोरोना वायरस महामारी में लॉकडाउन के दौरान आटो सेक्टर में डिमांड खत्म हो गई. इसका असर आटो कंपोनेंट सेक्टर पर पड़ा है. इस दौरान बैटरी, टायर सहित सभी कंपोनेंट की मांग घटी.
इकरा की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में ऑटोमोबाइल वॉल्यूम में लगभग 15-16 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है. इसके भीतर यात्री वाहन की मांग में 22-25 फीसदी की गिरावट आ सकती है. कमर्शियल व्हीकल (CV) के लिए भी यह वित्त वर्ष कठिन रहने वाला है. स्लो इकोनॉमिक ग्रोथ, सीवी स्पेस में ओवरकैपेसिटी, टाइट फाइनेंशिसल एन्वायरमेंट और BS-VI नॉर्म के चलते कीमत बढ़ने की वजह से दबाव रहेगा.
टू व्हीलर सेग्मेंट से उम्मीद
हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि दोपहिया वाहनों की बिक्री से लाभ हो सकता है. क्योंकि लोग अब कोविड 19 की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बजाय पर्सनल ट्रांसपोर्ट से चलना पसंद करेंगे. बेहतर मॉनसून के चलते रूरल इकोनॉमी में सुधार की उम्मीद है, वहीं आसानी से टू व्हीलर लोन होने के चलते इस सेग्मेंट में ग्रोथ दिख सकती है. इकरा की रिसर्च में पाया गया कि ऑटो कंपोनेंट सेक्टर की रिकवरी धीरे-धीरे और धीमी गति से बढ़ेगी. रूरल इनकम में रिवाइवल के चलते त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने से ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा.
डोमेस्टिक आटोमोटिव प्रोडक्शन कमजोर
इकरा के सीनियर ग्रुप वाइस प्रेसिडेंट सुब्रत रे ने कहा कि वित्त वर्ष 2020 में डोमेस्टिक आटोमोटिव प्रोडक्शन में करीब 14.7 फीसदी की गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2021 में भी इसमें दोहरे अंकों में गिरावट देखी जा सकती है. आफ्टरमार्केट कंपोनेंट जो इंडस्ट्री के कारोबार का 18 फीसदी है, की डिमांड भी नियर टर्म में कमजोर रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल लाइट व्हीकल आउटलुक भी अगले 12-18 महीनों में नकारात्मक बने रहने की आशंका है. क्योंकि महामारी फैलने की आशंका के कारण कैलेंडर वर्ष 2020 में इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई.
उत्पादन शुरू, लेकिन रहेगा दबाव
इन सभी बातों का ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री की संभावनाओं पर गंभीर असर पड़ेगा. हालांकि, मई 2020 की शुरुआत से ही भारत में विभिन्न क्षेत्रों में ऑटो और ऑटो कंपोनेंट का उत्पादन आंशिक रूप से फिर से शुरू हो गया है, लेकिन उत्पादन स्तर 30 फीसदी तक कम रहा है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ऑटो कंपोनेंट क्लस्टर में लॉकडाउन चेन्नई में चालू है और आगामी सप्लाई चेन में व्यवधान उद्योग की वसूली को धीमा बनाए रखेगा. श्रम और उत्पादकता में कमी का असर उत्पादन पर भी पड़ेगा.