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Ideaforge Tech: ग्रे मार्केट से संकेत अच्छे हैं और यह आईपीओ लिस्टिंग पर हाई रिटर्न दे सकता है.
Ideaforge Tech IPO Subscription Status/GMP: ड्रोन कंपनी आइडियाफोर्ज टेक (Ideaforge Tech) के आईपीओ को लेकर निवेशकों में क्रेज देखने को मिला है. यह आईपीओ अपने तीसरे दिन तक ओवरआल करीब 45.39 गुना या 4539 फीसदी सब्सक्राइब हो गया है. रिटेल निवेशकों का हिस्सा 63 गुना से ज्यादा भरा है. इश्यू को सब्सक्रिप्शन ही हाई नहीं मिला है, इसे लेकर ग्रे मार्केट में भी क्रेज हाई है. बता दें कि यह इश्यू 26 जून से 29 जून तक खुला था और इसका साइज 567 करोड़ रुपये है. प्राइस बैंड 638 से 672 रुपये प्रति शेयर था. आईपीओ में सफल आवेदकों को 4 जुलाई को शेयर अलॉट होंगे, जबकि 7 जुलाई को स्टॉक मार्केट में इसकी लिस्टिंग होगी.
कौन सा हिस्सा कितना सब्सक्राइब
आइडियाफोर्ज टेक्नोलॉजी के आईपीओ के तहत क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के लिए यानी QIB के लिए 75 फीसदी हिस्सा रिजर्व है और यह 31.42 फीसदी सब्सक्राइब हुआ है. 10 फीसदी हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए है और यह 61.40 गुना यानी 6140 फीसदी सब्सक्राइब हुआ है. जबकि 15 फीसदी हिस्सा नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है और यह ओवरआल 63.06 गुना सब्सक्राइब हुआ है. इसमें कर्मचारियों के लिए रिजर्व हिस्सा 59.93 गुना भरा है. ओवरआल इश्यू 45.39 गुना सब्सक्राइब हुआ है.
ग्रे मार्केट से क्या हैं संकेत
Ideaforge Tech के आईपीओ के आखिरी दिन ग्रे मार्केट में इसके अनलिस्टेड शेयरों को लेकर जबरदस्त क्रेज है. ग्रे मार्केट में कंपनी का शेयर 550 रुपये के प्रीमियम पर है. अपर प्राइस बैंड 672 रुपये के लिहाज इसका प्रीमियम करीब 81 फीसदी है. यानी अगर इसी प्रीमियम पर शेयर लिस्ट हो तो निवेशकों को 81 फीसदी रिटर्न मिल सकता है.
कंपनी में क्या पॉजिटिव
Swastika Investmart Ltd. के इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट, अनुभूति मिश्रा के अनुसार भारतीय मानव रहित विमान प्रणाली (UAS) में 50% बाजार हिस्सेदारी के साथ IdeaForge ने इंडस्ट्री में मजबूत ग्रोथ और डॉमिनेंस का प्रदर्शन किया है. वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2022 के बीच कंपनी के रेवेन्यू में 237.48% सीएजीआर की शानदार ग्रोथ रही है.इस ग्रोथ को फेवरेबल बिजनेस एन्वायरमेंट, ऑर्डर में बढ़ोतरी और सरकार द्वारा पीएलआई योजना जैसी पहल से भी सपोर्ट मिला है.
हालांकि, इसमें कुछ रिस्क भी नजर आ रहा है. IdeaForge काफी हद तक सरकारी सहायता प्राप्त परियोजनाओं पर निर्भर करता है, जो रेवेन्यू के सिंगल सोर्स पर निर्भरता के कारण एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करता है. विदेशी ड्रोन कंपनियों के साथ ज्वॉइंट वेंचर के माध्यम से अडानी ग्रुप जैसे अन्य प्रमुख खिलाड़ियों के बाजार में प्रवेश से प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी. इसके अलावा, कंपनी में लॉन्ग टर्म कांट्रैक्ट की कमी और डील हासिल करने के लिए स्थापित रिश्तों पर निर्भरता भी एक कमजोरी है.
(Disclaimer: कंपनी के बारे में विचार एक्सपर्ट के द्वारा दिए गए हैं. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं.)