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सर्वे में पाया गया कि नवंबर में नए ऑर्डर मिलने की रफ्तार पिछले तीन महीने में सबसे कम रही.
Manufacturing PMI: कोरोना महामारी के कारण बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है लेकिन पिछले महीने इसकी तेजी कम हुई है. मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक फैक्ट्री ऑर्डर्स, निर्यात और खरीदारी में धीमी गति के कारण नवंबर 2020 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की एक्टिविटी तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई. IHS मार्किट के मुताबिक, इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) नवंबर में 56.3 पहुंच गया जो उसके पिछले महीने अक्टूबर में 58.9 था.
हालांकि इस गिरावट के बावजूद नवंबर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मजबूत रहा क्योंकि पीएमआई डेटा के 50 से अधिक होने का अर्थ है कि बाजार में विस्तार हो रहा है. इससे कम पीएमआई डेटा होने का मतलब होता है कि बाजार सिकुड़ रहा है मतलब कि बाजार में इकोनॉमिक एक्टिविटी कम हो रही है.
बना रहा रिकवरी का माहौल
आईएचएस मार्किट के इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लिमा के मुताबिक इंडियन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रिकवरी का माहौल बना रहा. पिछले महीने नए ऑर्डर और उत्पादन में लगातार ग्रोथ दिखी. नवंबर महीने के पीएमआई डेटा कम होने का कारण उन्होंने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लॉकडाउन की संभावना के चलते बाजार में उपजी आशंका को बताया. अक्टूबर में पीएमआई एक दशक के शिखर पर था.
कारोबारी भरोसे पर बुरा प्रभाव
सर्वे में पाया गया कि नवंबर में नए ऑर्डर मिलने की रफ्तार पिछले तीन महीने में सबसे कम रही. इस सर्वे के मुताबिक कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद घरेलू मांग बनी रही जिसके कारण बिक्री में बढ़ोतरी रही. लीमा ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण कारोबारी भरोसे में कमी आई है. सर्वे में पाया गया कि आने वाले समय के लिए भी आउटपुट ग्रोथ का आकलन किया जा सकता है लेकिन कोरोना महामारी, सार्वजनिक नीतियां और रुपये में गिरावट के कारण कारोबारी भरोसे पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
नवंबर में भी जारी रही छंटनी
सर्वेक्षण के मुताबिक, अक्टूबर के मुकाबले पिछले महीने छंटनी में अधिक बदलाव नहीं रहा. पिछले महीने रोजगार में लगातार गिरावट रही क्योंकि कंपनियों ने सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े दिशा-निर्देशों का असर कंपनियों के काम-काज पर भी पड़ा है. कंपनियों ने न्यूनतम संभव कर्मियों को रोजगार पर ही रखने को प्रमुखता दी. प्राइस को लेकर बात करें तो इनपुट कॉस्ट (लागत) और आउटपुट चार्जेज तेजी से बढ़े जो कि लगातार लांग-रन के औसत से अधिक रहे.
उम्मीद के मुताबिक इकोनॉमिक रिकवरी तेज
पीएमआई में गिरावट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद के मुताबिक तेज रिकवरी रही. जुलाई से सितंबर तिमाही में जीडीपी में सिकुड़न की दर 7.5 फीसदी रही. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की दर से सिकुड़न रही क्योंकि कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन ने इकोनॉमिक गतिविधियों को प्रभावित किया था.
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