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Image: Reutersआयातकों और निर्यातकों को 15 फरवरी से दस्तावेजों में अनिवार्य तौर पर वस्तु एवं सेवा कर पहचान संख्या (GSTIN) की जानकारी उपलब्ध करानी होगी. राजस्व विभाग जीएसटी से रेवेन्यु कलेक्शन में हो रहे नुकसान को रोकने और कर चोरी पर लगाम लगाने की तैयारी कर रहा है. इसी के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक सर्कुलर जारी किया है.
CBIC ने कहा है कि कुछ ऐसे मामले संज्ञान में आए हैं, जिनमें निर्यातकों और आयातकों ने GSTIN रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी शिपिंग व एंट्री के बिल में जीएसटीआईएन की जानकारी नहीं दी. GSTIN पैन आधारित 15 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या है और जीएसटी के तहत हर पंजीकृत निकाय को इसका आवंटन किया जाता है. आयातकों को सीमा शुल्क विभाग के पास एंट्री बिल जमा करना होता है, जबकि निर्यातकों को शिपिंग बिल जमा करना होता है.
पकड़े जा सकेंगे कर चोरी करने वाले
सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड निर्यातकों और आयातकों को निर्यात/आयात दस्तावेजों में 15 फरवरी 2020 से अनिवार्य तौर पर GSTIN की जानकारी देनी होगी.’’ एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘‘निर्यातकों और आयातकों द्वारा अनिवार्य तौर पर GSTIN मुहैया कराने से आंकड़ों के विश्लेषण विशेषकर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के मामलों में काम बढ़ेगा. इससे कर अधिकारी सीमा पर कम मूल्य दिखाकर कर चोरी करने वालों को गिरफ्तार कर सकेंगे.’’
ईवाई के कर भागीदार अभिषेक जैन ने कहा कि इससे जीएसटी के तहत राजस्व के नुकसान को रोकने और निर्यातकों व आयातकों के आंकड़ों का जीएसटी आंकड़ों के साथ मिलान किया जाना सुनिश्चित होगा.
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