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FY22 में 7.5-12.5% रह सकती है GDP ग्रोथ, 2 साल में कम हुई है प्रति व्यक्ति आय: World Bank

विश्व बैंक के मुताबिक उम्मीद के विपरीत भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक स्थिति में पूरी तरह से सुधार नहीं है.

विश्व बैंक के मुताबिक उम्मीद के विपरीत भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक स्थिति में पूरी तरह से सुधार नहीं है.

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PTI
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India bounced back big way but not out of woods real GDP growth says World Bank

विश्व बैंक के मुताबिक पिछले दो वर्षों से भारत में कोई ग्रोथ नहीं दिखी है और प्रति व्यक्ति आय में भी गिरावट आई है.

पिछले एक साल में कोरोना महामारी और देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा था. विश्व बैंक के मुताबिक उम्मीद के विपरीत भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक स्थिति में पूरी तरह से सुधार नहीं है. विश्व बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.5-12.5 फीसदी के बीच रह सकती है. विश्व बैंक के मुताबिक पिछले दो वर्षों से भारत में कोई ग्रोथ नहीं दिखी है और प्रति व्यक्ति आय में भी गिरावट आई है.

विश्व बैंक ने अपनी हालिया साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) से सालाना स्प्रिंग मीटिंग से पहले जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी से पहले भी इकोनॉमी धीमी हो रही थी और वित्त वर्ष 2017 में यह 8.3 फीसदी पहुंच गई थी और इसके बाद वित्त वर्ष 2020 में यह 4 फीसदी तक गिर गई. स्लोडाउन की सबसे बड़ी वजह निजी खपत में गिरावट और एक बड़े नॉन-बैंक फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के ढहने से वित्तीय सेक्टर को लगा झटका रहा.

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महामारी न आती तो भी इकोनॉमी के कुछ हिस्सों में रिकवरी नहीं

विश्व बैंक ने महामारी और पॉलिसी डेवलपमेंट्स के कारण अनिश्चितता के चलते वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक रीयल जीडीपी ग्रोथ के 7.5-12.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है. जीडीपी ग्रोथ इस पर निर्भर करेगी कि वैक्सीनेशन कार्यक्रम किस तरह आगे बढ़ता है, आवाजाही पर किस तरह से प्रतिबंध लगाए जाते हैं. इसके अलावा अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ इस पर भी निर्भर करेगी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से रिकवर होती है.

विश्व बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट (साउथ एशिया रीजन) हंस टिमर के मुताबिक पैंडेमिक साइड की बात करें तो भारत में हर किसी को वैक्सीन का डोज देना भी बहुत बड़ी चुनौती है. इकोनॉमिक साइड पर बात करें तो टिमर का कहना है कि पिछले दो वर्षों से भारत में कोई ग्रोथ नहीं दिखी है और पिछले दो वर्षों से प्रति व्यक्ति आय में भी गिरावट आई है. टिमर के मुताबिक महामारी न होती तो भी इकोनॉमी के कई हिस्सों में रिकवरी नहीं हुई है.

पॉवर्टी रेट में गिरावट का अनुमान

घरेलू और महत्वपूर्ण एक्सपोर्ट मार्केट्स में आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं, FY22 और FY23 में चालू खाते का घाटा 1 फीसदी रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक FY22 तक सरकारी घाटा जीडीपी के 10 फीसदी से अधिक बना रह सकता है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रोथ सामान्य होने और लेबर मार्केट में सुधार होने की उम्मीद के चलते गरीबी में कमी हो सकती है और कोरोना से पहले की स्थिति आ सकती है. वित्त वर्ष 2022 में पॉवर्टी रेट (1.90 अमेरिकी डॉलर लाइन) कोरोना महामारी से पहले की स्थिति में पहुंच सकती है और इसके 6-9 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है. इसके बाद वित्त वर्ष 2024 तक यह कम होकर 4-7 फीसदी तक रह सकता है.

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