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सर्वे में शामिल पार्टिसिपेंट्स ने उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 9.6 फीसदी की दर से बढ़ सकती है.
वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की जीडीपी में 8 फीसदी की दर से गिरावट रह सकती है. यह अनुमान भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने अपने इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे रिपोर्ट में व्यक्त किया है. फिक्की ने यह सालाना मीडियन ग्रोथ अनुमान इंडस्ट्री, बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विसेज सेक्टर के कई अर्थशास्त्रियों पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया है. यह सर्वे जनवरी में किया गया था. सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में खेती और उससे जुड़ी एक्टिविटीज 3.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी. फिक्की के मुताबिक रबी के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी, बेहतर मानसून और ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़ोतरी जैसे कारकों के कारण कृषि सेक्टर में मजबूती रहने का अनुमान है.
सर्वे में शामिल पार्टिसिपेंट्स ने उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 9.6 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. हालांकि फिक्की का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और नए स्ट्रेन के सामने आने के कारण ग्रोथ बढ़ाने वाले कारक प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में कोरोना महामारी से बचाव के लिए तय मानकों का पालन जारी रखना होगा
इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में रहेगी गिरावट
इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर की बात करें तो ये कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई. फिक्की के सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में इंडस्ट्री सेक्टर में 10 फीसदी की दर से गिरावट रह सकती है और सर्विसेज सेक्टर में 9.2 फीसदी की दर से. सर्वे में पाया गया कि औद्योगिक रिकवरी अभी पर्याप्त नहीं है. इसके अलावला त्यौहारी सत्र के दौरान खपत में बढ़ोतरी के कारण मांग में मजबूती आई थी लेकिन इसे बनाए रखना बड़ी चुनौती है. सर्वे के मुताबिक टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, एंटरटेनमेंट, एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में अभी भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है.
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चौथी तिमाही में पॉजिटिव रह सकती है इकोनॉमी
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर 2020 में जीडीपी ग्रोथ में 1.3 फीसदी की गिरावट रह सकती है. सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव रह सकती है और इसमें 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी है. फिक्की के सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में आईआईपी की मीडियन ग्रोथ (-) 10.7 फीसदी रह सकती है.
फिक्की के सर्वे के मुताबिक डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई वित्त वर्ष 2020-21 में स्थिर रह सकती है और सीपीआई आधारित महंगाई 6.5 फीसदी रह सकती है. इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले राजकोषीय घाटा 7.4 फीसदी रह सकता है जबकि बजट में 3.5 फीसदी का लक्ष्य रखा गया था.