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एटीएम कम होने से भविष्य में मोबाइल बैंकिंग बढ़ेगी. (Image-Bloomeberg)
एटीएम कम होने से भविष्य में मोबाइल बैंकिंग बढ़ेगी. (Image-Bloomeberg)भारत में अभी भी डिजिटल की बजाय नगदी पर निर्भरता बहुत अधिक है, इसके बावजूद यहां ATM की संख्या बढ़ने की बजाय घटती जा रही है. भारतीय केंद्रीय बैंक आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो साल में लेन-देन में बढ़ोतरी के बावजूद एटीएम की संख्या में गिरावट आई है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के आंकड़ों के मुताबिक ब्रिक्स देशों में प्रति 1 लाख लोगों पर सबसे कम एटीएम भारत में ही है. एटीएम की संख्या में आगे भी गिरावट आ सकती है क्योंकि बैंक और एटीएम ऑपरेटर्स सॉफ्टवेयर और एटीएम की सुरक्षा के लिए अनिवार्य शर्तों को पूरा करने की लागत घटाने का प्रयास कर रहे हैं.
सरकारी बैंकों के विलय से बढ़ी समस्या
बैंकों को एटीएम मशीन उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी हिताची पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रूस्तम ईरानी का कहना है कि एटीएम की घटती संख्या से बहुत से लोग प्रभावित होंगे. ईरानी का कहना है कि कम एटीएम होने से सामाजिक और आर्थिक स्तर पर एकदम पिछड़े हुए लोग बहुत बुरी तरह प्रभावित होंगे. कुछ सरकारी बैंकों द्वारा अपनी शाखाओं को बंद करने से भी एटीएम की संख्या कम हुई है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अपने पांच एसोसिएट बैंकों और एक लोकल लेंडर का अधिग्रहण करने के बाद वित्तीय वर्ष 2018 की पहली छमाही में करीब 1000 आउटलेट्स कम किए थे. इस चार्ट से देखा जा सकता है कि पिछले कुछ साल में एटीएम की संख्या कैसे गिरती गई.
पिछले तीन साल से एटीएम की संख्या गिरती जा रही है.खुद का ATM लगवाने की बजाय दूसरे का प्रयोग सस्ता
सुरक्षा लागत बढ़ने के कारण एटीएम ऑपरेटर्स बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि उनके रेवेन्यू कम बने हुए हैं और यह तब तक नहीं बढ़ सकता है जब तक इंडस्ट्री कमेटी की मंजूरी नहीं मिल जाती है. एटीएम ऑपरेटर्स (इसमें बैंक भी शामिल हैं) हर ट्रांजैक्शन पर उन बैंकों से 15 रुपये का इंटरचेंज फी वसूल करते हैं जिसका डेबिट या क्रेडिट कार्ड नगद निकासी के लिए प्रयोग किया गया है.
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी के मुताबिक, ATM की संख्या पर इंटरचेंज फी का बड़ा प्रभाव है. उनका कहना है कि बैंक खुद का एटीएम शुरू करने की बजाय दूसरे बैंकों को 15 रुपये का इंटरचेंज फी देना अधिक सस्ता मानते हैं. हालांकि इंटरचेंज फी को अधिक करना ही एटीएम समस्या का समाधान नहीं है. इंडियन ओवरसीज बैंक के सीईओ आर सुब्रमणियनकुमार का कहना है कि अगर इंटरचेंज फी को अधिक कर दिया गया तो को बैंक इसका भार ग्राहकों पर डाल सकते हैं.
सीधे खाते में पैसे भेजने से ATM की जरूरत बढ़ी
2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद करीब 35.5 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है. इसके अलावा लोगों के खातों में सीधे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का पैसा भेजा जाने लगा. इन सबकी वजह से एटीएम की जरूरत बढ़ी है.
ब्रिक्स देशों में सबसे कम भारत में
IMF के मुताबिक, ब्रिक्स देशों में सबसे कम एटीएम भारत में ही हैं. यहां प्रति एक लाख लोगों पर सिर्फ 22 एटीएम ही हैं जबकि ब्राजील में 107, चीन में 81 और दक्षिण अफ्रीका में 68 एटीएम हैं. ब्रिक्स देशों में प्रति एक लाख लोगों पर सबसे अधिक 164 एटीएम रूस में हैं. यह आंकड़ा चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए 2017 का है, चीन के लिए यह आंकड़ा 2016 का है.
भविष्य में बढ़ेगी मोबाइल बैंकिंग
एटीएम की घटती संख्या से भविष्य में मोबाइल बैंकिंग बढ़ सकती है. इसका एक और कारण भारत में युवाओं की तेजी से बढ़ती संख्या है. पिछले पांच साल में भारत में मोबाइल बैंकिंग से लेन-देन करीब 65 फीसदी बढ़ा है. फेडरल बैंक लिमिटेड के चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर (सीएफओ) आशुतोष खजुरिया का कहना है कि लोग तेजी से मोबाइल ऐप्स की तरफ से शिफ्ट हो रहे हैं. उनका कहना है कि अभी एटीएम के भविष्य पर कुछ बोलना संभव नहीं है लेकिन इसकी संख्या तेजी से कम हो रही है और कोई भी इसमें अब निवेश करने से कतराएगा.
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