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इस साल दिवाली कुछ खास होने वाली है. कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के आह्वान और कोशिशें रंग लाई हैं और इस साल पूरा देश हिंदुस्तानी दिवाली मनाने के फैसले पर एकजुट होता दिख रहा है. इस दिवाली चीनी झालर, दिये, चीनी रंगोली और चीनी वंदनवार की जगह देश का हर घर देसी उत्पादों से रौशन होगा. कैट ने देश भर में भारतीय सामान की आसान उपलब्धता को लेकर व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं और अब ये त्योहार से जुड़े सामान वर्चुअल प्रदर्शनी, बाजारों में बने खास स्टॉल्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए देश के प्रत्येक शहर में व्यापारिक संगठनों के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे.
दरसल कैट ने 2 महीने पहले ही देशभर के व्यापारिक संगठनों को अपने-अपने क्षेत्र के कुम्हार, शिल्पकार, कारीगर, मूर्तिकार, और कलाकारों को चिन्हित कर उनसे बड़ी संख्या में दिवाली से जुड़े सामानों की मार्केट डिमांड के हिसाब से निर्माण कार्य कराने का निर्देश दिया था. अब यह पूरा होने पर यही व्यापारी संगठन उन्हें आम जनता तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. बाजार देसी सामानों से सज गए हैं.
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि दिवाली से जुड़े सभी सामान जैसे दिये, मोमबत्ती, बिजली की लड़ियां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, वंदनवार, घरो को सजाने के दूसरे सामान, रंगोली, शुभ लाभ के चिन्ह, पूजन सामग्री इत्यादि सब कुछ इस बार भारतीय होगा. इन्हें हमारे कारीगर जिन्हें हम भुला चुके थे, वे बना रहे हैं जिनमे महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल है. कैट देश के सबसे निचले तबके के लोगो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, देश की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए और देश से चीनी सामानों के पूर्ण सफाये के लिए निरंतर प्रयासरत है.
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खास आकर्षण
घरो के दरवाजों पर सजने वाले वंदनवार इस साल की दिवाली का मुख्य आकर्षण होंगे. पहले चीन में सस्ते सामग्रियों से बने वंदनवार भारत पहुंचते तो थे पर न तो उनमें वो ताजगी होती थी और न ही रेंज. पर इस साल ये देसी वंदनवार हर रेंज और डिजाइन में उपलब्ध हैं. ज्यादातर महिला कारीगरों के हाथों से बने ये वंदनवार 100 रुपये से शुरू हो कर 2000 रुपये तक बिक रहे हैं और इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इनमे न सिर्फ गोटा, मोती आदि के काम किये गए हैं बल्कि इसमें शुभ लाभ, लक्ष्मी गणेश, कलश आदि बने हुए हैं.
डिजाइनर देसी दिये
दियों के बगैर दिवाली अधूरी है. इस साल देसी कुम्हारों ने महिला कारीगरों के साथ मिल कर दियों की सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं. मिट्टी से बने पारंपारिक दियों की रेंज इस साल कुछ खास है. साथ ही अलग अलग धातुओं से बनी डिजाइनर टी लाइट्स की एक बड़ी और आकर्षक रेंज बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.