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ECLGS is the flagship post-Covid credit scheme for existing MSME borrowers launched in May 2020 as part of the Rs 20 lakh crore special economic Atmanibhar Bharat package. (Image: pexels)
Covid Effect on Indian Economy: कोरोना महामारी के चलते भारत समेत दुनिया भर की इकॉनमी को बड़ा झटका लगा है. आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है लेकिन केंद्रीय बैंक आरबीआई की मानें तो कोरोना महामारी के झटके से उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक दशक से भी अधिक समय लग सकता है. आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौरान तीन वर्षों में इकॉनमी को करीब 52 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है जिससे उबरने में 12 साल यानी वित्त वर्ष 20234-35 तक का समय लग जाएगा. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए करेंसी एंड फाइनेस पर तैयार रिपोर्ट में 'Scars of the Pandemic' (कोरोना के निशान) चैप्टर में यह अनुमान लगाया है.
कई लहर का इकॉनमी पर निगेटिव असर
केंद्रीय बैंक के मुताबिक कोरोना महामारी की कई लहर के चलते रिकवरी पर निगेटिव असर पड़ा. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में तेज गिरावट के बाद इकॉनमी फिर संभल गई लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में दूसरी लहर ने इसे फिर तगड़ा झटका दिया. इसी प्रकार जनवरी 2022 में तीसरी लहर के चलते भी रिकवरी प्रक्रिया को आघात पहुंचा.
रूस-यूक्रेन जंग ने धीमी की रिकवरी की रफ्तार
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही थी लेकिन रूस और यूक्रेन की लड़ाई ने एक बार फिर इसे झटका दिया. इन दोनों देशों के बीच लड़ाई के चलते वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन पर असर पड़ा और कमोडिटी के भाव बढ़ने लगे. इकॉनमी पर इसका निगेटिव इफेक्ट पड़ा.
वित्त वर्ष 2034-35 तक स्थिति सुधरने का अनुमान
वित्त वर्ष 20212-13- से 2019-20 तक इकॉनमी 6.6 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़ी थी और अगर इसमें स्लोडाउन इयर्स तो निकाल दें तो वित्त वर्ष 2012-13 से वित्त वर्ष 2016-17 के बीच 7.1 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी. वित्त वर्ष 2020-21 में ग्रोथ रेट (-) 6.6 फीसदी रही, वित्त वर्ष 2021-22 में 8.9 फीसदी और अब वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 फीसदी और फिर इसके बाद 7.5 फीसदी की ग्रोथ रेट मानें तो कोरोना से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई वित्त वर्ष 2034-35 तक हो सकेगी.
(Input: PTI)
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