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The ISM’s report is based on a survey of purchasing managers and asks whether activity is increasing, decreasing or stagnant.
पीएमआई इंडेक्स लगातार 32 माह वृद्धि में रहने के बाद अप्रैल माह में गिरावट में आ गया.मांग कमजोर बने रहने से देश में जुलाई के दौरान विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट कुछ और बढ़ी है. लंबे लॉकडाउन के बाद मांग कमजोर रहने से कल कारखानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में तो कमी की ही है, खरीद गतिविधियां भी कम हुई हैं. IHS मार्किट के मंथली सर्वेक्षण के अनुसार, भारत मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में 46 अंक पर रहा. एक माह पहले जून में यह 47.2 पर था. भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के मामले में यह लगातार चौथा माह रहा है जब इसमें कमी दर्ज की गई.
पीएमआई इंडेक्स लगातार 32 माह वृद्धि में रहने के बाद अप्रैल माह में गिरावट में आ गया. पीएमआई के 50 से ऊपर रहना गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है जबकि इससे नीचे रहनो इसमें दबाव अथवा गिरावट को दर्शाता है. आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री एलियॉट केर ने कहा, ‘‘भारतीय मैन्युफैक्चरर से प्राप्त ताजा पीएमआई के आंकड़े कोविड- 19 महामारी से अधिक प्रभावित देशों में शामिल देश की आर्थिक स्थिति पर अधिक प्रकाश डालते हैं.’’
केर ने कहा कि सर्वेक्षण के परिणाम दिखाते हैं कि कारखानों में उत्पादन और नए आर्डर मिलने के महत्वपूर्ण सूचकांक में गिरावट फिर से बढ़ी है. इससे पिछले दो माह के दौरान जो स्थिरीकरण का रुझान दिख रहा था वह कमजोर पड़ गया. उन्होंने कहा कि प्राप्त संकेत यह बताते हैं कि कंपनियां काम के लिये अभी जद्दोजहद में हैं, क्योंकि उनके कुछ खरीदार अभी भी लॉकडाउन में हैं. इससे पता चलता है कि जब तक संक्रमण दर कम नहीं होती है और प्रतिबंध नहीं हटते हैं गतिविधयों के जोर पकड़ने की संभावना नहीं है.
सर्वेक्षण बताता है कि जून के मुकाबले जुलाई में गिरावट कुछ तेज हुई है, क्योंकि मांग की स्थिति अभी भी कमजोर है. कई राज्यों में लॉकडाउन बढ़ने से कुछ व्यवसाय अभी भी बंद पड़े हैं. निर्यात आर्डर में भी गिरावट देखी गई है. सर्वेक्षण में भाग लेने वालों का कहना है कि उनके अंतरराष्ट्रीय खरीदार आर्डर देने में हिचकिचा रहे हैं क्योंकि महामारी को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. कमजोर मांग की स्थिति के चलते भारतीय विनिर्माताओं ने जुलाई में कर्मचारियों की संख्या में कटौती को जारी रखा है. हालांकि, सर्वेक्षण में कोविड- 19 के जारी नकारात्मक प्रभाव के बावजूद लगातार दूसरे माह भविष्य की गतिविधियों को लेकर धारणा में सुधार देखा गया.
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