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इकोनॉमी में सुधार स्थायी नहीं, फिर बिगड़ सकती है स्थिति, ब्रिकवर्क की रिपोर्ट ने जताई आशंका

ब्रिकवर्क रेटिंग के मुताबिक जब तक कि सरकार इकोनॉमी सुधारने के लिए तुरंत कोई एक्शन नहीं लेती है, इसमें सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है.

ब्रिकवर्क रेटिंग के मुताबिक जब तक कि सरकार इकोनॉमी सुधारने के लिए तुरंत कोई एक्शन नहीं लेती है, इसमें सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है.

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PTI
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Indicators point to economic recovery, but recouping may be fragile brickwork Report

पिछली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की सिकुड़न रही.

छह महीने तक कठोर लॉकडाउन से गुजरने के बाद इकोनॉमी की हालत धीरे-धीरे सुधर रही है और कुछ इंडिकेटर इकोनॉमी की सुधरती सेहत के भी संकेत दे रहे हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी इंडिकेटर हैं जो यह बताते हैं कि इकोनॉमी में जो सुधार दिख रहा है वह क्षणिक है. यह खुलासा रेटिंग एजेंसी Brickwork Ratings की रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर में अर्थव्यवस्था 13.5 फीसदी तक सिकुड़ सकती है और वित्तीय वर्ष 2020-21 की बात करें तो पूरी अर्थव्यवस्था 9.5 फीसदी तक सिकुड़ सकती है. रेटिंग एजेंसी का मानना है कि जब तक कि सरकार इकोनॉमी सुधारने के लिए तुरंत कोई एक्शन नहीं लेती है, इसमें सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है.

इकोनॉमी में सुधार दिखाने वाले इंडिकेटर

अगस्त मैं मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 52 थी जो सितंबर में तेजी से बढ़कर 56% हो गई. यह पिछले 8 साल में सबसे अधिक है. सितंबर में 95,480 करोड़ का जीएसटी कलेक्शन हुआ जो कि पिछले साल के मुकाबले 3.8 फीसदी अधिक है और अगस्त के मुकाबले 10 फीसदी से अधिक है. यात्री गाड़ियों की बिक्री में भी 21वीं सदी की बढ़ोतरी हुई है. रेलवे ट्रैफिक में भी 15 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दिखी है. छह महीने के लॉकडाउन के बाद मर्चेंटाइज एक्सपोर्ट्स में 5.3 फीसदी का ग्रोथ दिखा है जिसमें इंजीनियरिंग गुड्स, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, दवाइयां और रेडीमेड गारमेंट्स हैं. इसके अलावा डिमांड में भी बढ़ोतरी दिखी है.

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इकोनॉमी सुधार को छलावा बताने वाले इंडिकेटर

सुधार दिखने के बावजूद रेटिंग एजेंसी का कहना है कि यह रिकवरी कुछ ही समय के लिए है क्योंकि इस दूसरी तिमाही में पिछले साल की तुलना में नए प्रोजेक्ट पर कैपिटल एक्सपेंडिचर 81 फ़ीसदी तक गिर गया है जो यह दिखाता है कि निवेश में गिरावट आई है. इसके अलावा अगस्त में कोर सेक्टर ग्रोथ में निगेटिव 8.5 फीसदी चला गया है. गोल्ड और तेल के अलावा सभी वस्तुओं के आयात भी कम हुए हैं.

पिछली तिमाही में जीडीपी में 2.9 फीसदी की सिकुड़न

अप्रैल से जून की पहली तिमाही में जीडीपी 23.9 फीसदी सिकुड़ गई. कृषि और उससे जुड़े सेक्टर को छोड़कर और सभी सेक्टर में नेगेटिव ग्रोथ रेट दिखी थी. कंस्ट्रक्शन सेक्टर में सबसे अधिक सिकुड़न देखी गई. उसमें (-)50.3 फ़ीसदी की गिरावट आई थी. उसके बाद हड़ताल, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और कम्युनिकेशन में (-) 47 फीसदी और मैनुफैक्चरिंग में (-)39.3 फीसदी की गिरावट दिखी. रिपोर्ट के मुताबिक इकोनॉमी में सुधार दिख रहा है लेकिन इन सभी सेक्टर्स में गिरावट का दौर जारी रहेगा.

विनिवेश के सहारे बढ़ सकता है पब्लिक स्पेंडिंग

ब्रिक वर्क रेटिंग्स ने संकट को सभी सुधारों की जननी कहते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में सरकार महत्वपूर्ण सुधार कर रही है और लेबर मार्केट में फ्लैक्सिबिलिटी ला रही है. 24 केंद्रीय श्रम कानूनों को मर्ज कर चार संहिताओं (कोड) में ढालना बहुत बड़ा रिफॉर्म है. इससे लेबर मार्केट में फ्लैक्सिबिलिटी आएगी और इंस्पेक्टर राज की समाप्ति होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स इकोनामिक एनवायरमेंट को सुधारने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इकोनॉमी सुधारने के लिए आपूर्ति सुधारनी होगी और मांग बढ़ानी होगी. मांग बढ़ाने के लिए सरकार को पब्लिक स्पेंडिंग बढ़ाना होगा. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक पब्लिक इंवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर बढ़ाने के लिए विनिवेश का भी सहारा ले सकती है.