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According to the available government data, 35.80 lakh MSMEs were registered on the Udyam portal as of July 8, 2021.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की अर्थव्यवस्था के बारे में चिंता बढ़ाने वाले आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2021 में देश के इंडस्ट्रिय लोन ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है. ये गिरावट पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान देखने को मिली है. इतना ही नहीं, रिजर्व बैंक के इन्हीं आंकड़ों के मुताबिक प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर के क्रेडिट में लगातार छठी तिमाही के दौरान गिरावट देखने को मिली है. लगातार छह तिमाही यानी डेढ़ साल से प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर के क्रेडिट का निगेटिव रहना अर्थव्यवस्था में महामारी के भी पहले से चली आ रही आर्थिक सुस्ती का ही संकेत है.
औद्योगिक ऋण में गिरावट, पर्सनल लोन में 13.5% का इजाफा
रिजर्व बैंक के मुताबिक मार्च 2021 में औद्योगिक ऋण में आई गिरावट के ठीक उलट पर्सनल लोन में 13.5% का इजाफा हुआ है. हाउसहोल्ड सेक्टर यानी घरेलू इस्तेमाल के लिए लिए जाने वाले कर्जों में भी मार्च 2021 में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10.9 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. कुछ कर्ज में इस सेक्टर की हिस्सेदारी भी बढ़कर 52.6 फीसदी हो गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह हिस्सेदारी 49.8 फीसदी रही थी.
लगातार छठी तिमाही में गिरा प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर क्रेडिट
इसके मुकाबले प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर के क्रेडिट में लगातार छठी तिमाही में भी गिरावट जारी रही और कुल ऋण में इसका हिस्सा 28.3 फीसदी रहा. वर्किंग कैपिटल के लिए कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट और डिमांड लोन के तौर पर लिए जाने वाले कर्जों में भी 2020-21 के दौरान गिरावट देखने को मिली है. कुल ऋण में ऐसे कर्जों का हिस्सा करीब एक-तिहाई का है. रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों को देखकर यह सवाल उठना लाज़मी है कि एक तरफ औद्योगिक लोन, वर्किंग कैपिटल लोन और निजी कॉरपोरेट सेक्टर के क्रे़डिट में गिरावट और दूसरी तरफ पर्सनल लोन में इजाफा, आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के जारी रहने और निजी तौर पर आम लोगों की आर्थिक मुश्किलों के बढ़ने का संकेत नहीं तो और क्या है?
रिजर्व बैंक के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक बैंकों की शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में मौजूद शाखाओं में मार्च 2021 में पिछले साल के मुकाबले डबल डिजिट क्रेडिट ग्रोथ दर्ज की गई, जबकि महानगरों में मौजूद शाखाओं की क्रेडिट ग्रोथ महज 1.4 फीसदी की रही. इन आंकड़ों की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि कुल बैंक क्रेडिट में इन मेट्रोपोलिटन शाखाओं की हिस्सेदारी 63 फीसदी की है.
(Input: PTI)